डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली: राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) ने मध्यप्रदेश में कथित पुलिस बर्बरता से हुई दो मौतों के मामलों पर स्वतः संज्ञान लेते हुए राज्य के पुलिस महानिदेशक (DGP) को नोटिस जारी किया है। आयोग ने दोनों घटनाओं की विस्तृत रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।
आयोग ने कहा है कि यदि मीडिया में प्रकाशित रिपोर्टें सही हैं, तो यह मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और राज्य के जिम्मेदार अधिकारियों को इसका उत्तर देना होगा। दोनों ही मामले पुलिस द्वारा की गई कथित पिटाई से जुड़े हैं, जिनमें एक 22 वर्षीय बीटेक छात्र और एक 45 वर्षीय व्यक्ति की जान गई है।
पहली घटना भोपाल जिले की बताई गई है। रिपोर्ट्स के अनुसार, 9 और 10 अक्टूबर की दरम्यानी रात करीब 1:30 बजे एक इंजीनियरिंग छात्र की दो पुलिसकर्मियों द्वारा बेरहमी से पिटाई की गई, जिसके चलते उसकी मौके पर ही मौत हो गई। बताया गया है कि छात्र अपने दोस्तों के साथ एक पार्टी से लौट रहा था। रास्ते में बोतल टूटने की एक मामूली घटना के बाद पुलिस ने उन्हें रोका। दो साथी भाग निकले, जबकि छात्र को पुलिस ने पकड़ लिया और लाठियों से पीटना शुरू कर दिया।
सोशल मीडिया पर वायरल हुए CCTV फुटेज में एक पुलिसकर्मी को युवक पर लगातार लाठी बरसाते हुए देखा जा सकता है। इस घटना ने स्थानीय स्तर पर ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में आक्रोश की लहर पैदा कर दी है।
दूसरी घटना अशोकनगर जिले के शडोरा थाना क्षेत्र के बमुरिया गांव की है, जहां 45 वर्षीय व्यक्ति की कथित रूप से पुलिसकर्मियों की पिटाई के बाद पानी से भरे गड्ढे में गिरने से मौत हो गई। परिजनों और ग्रामीणों ने इस घटना के बाद पुलिस पर कार्रवाई की मांग करते हुए प्रदर्शन किया। उन्होंने संबंधित पुलिसकर्मियों पर एफआईआर दर्ज करने और निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है।
हालांकि, पुलिस का कहना है कि वह अवैध शराब व्यापार से जुड़ी सूचना पर कार्रवाई करने गई थी। पुलिस के अनुसार, व्यक्ति भागने की कोशिश कर रहा था और उसी दौरान गड्ढे में गिर गया, जिससे उसकी मौत हो गई।
मानवाधिकार आयोग ने कहा है कि इन दोनों मामलों में यदि पुलिसकर्मियों की लापरवाही या अत्यधिक बल प्रयोग साबित होता है, तो यह न केवल कानून का उल्लंघन है बल्कि यह मानवाधिकारों की गंभीर अवहेलना है। आयोग ने राज्य के डीजीपी से जांच की प्रगति, कार्रवाई और दोषियों की जिम्मेदारी तय करने संबंधी विस्तृत रिपोर्ट दो सप्ताह के भीतर प्रस्तुत करने को कहा है।
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इन घटनाओं ने राज्य में पुलिस की कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्न खड़े कर दिए हैं। मानवाधिकार आयोग के संज्ञान लेने के बाद अब उम्मीद जताई जा रही है कि पीड़ित परिवारों को न्याय मिलेगा और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।