एजेंसी, नईदिल्ली: आज पूरे देश में विश्वकर्मा दिवस (Vishwakarma Jayanti 2025) मनाया जा रहा है। यह दिन उन कारीगरों और शिल्पकारों को समर्पित है, जिनकी मेहनत से समाज को विकास की दिशा मिलती है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) द्वारा शुरू की गई पीएम विश्वकर्मा योजना (PM Vishwakarma Yojana) विशेष चर्चा में रहती है। यह योजना पूरी तरह से कारीगरों के लिए डिज़ाइन की गई है, ताकि उनकी कला को बढ़ावा मिले और उन्हें रोजगार के नए अवसर प्राप्त हों।
पीएम विश्वकर्मा योजना की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 फरवरी 2023 को की थी। इसका मुख्य उद्देश्य देशभर के शिल्पकारों, कारीगरों और हस्तशिल्प से जुड़े लोगों को रोजगार उपलब्ध कराना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। मशीनीकरण के कारण कारीगरों की पारंपरिक कला प्रभावित हुई है। ऐसे में यह योजना उनके लिए नई उम्मीद लेकर आई है।
इस योजना के तहत कारीगरों को कई तरह के लाभ दिए जाते हैं। सबसे पहले उन्हें 15 दिनों की ट्रेनिंग दी जाती है। ट्रेनिंग के दौरान प्रत्येक कारीगर को प्रतिदिन 500 रुपये का स्टाइपेंड मिलता है। ट्रेनिंग पूरी करने के बाद कारीगर 1 लाख रुपये तक के लोन के लिए आवेदन कर सकते हैं।
पहले लोन का भुगतान करने के बाद लाभार्थी को 2 लाख रुपये तक का दूसरा लोन भी मिल सकता है। इस तरह कारीगर अपनी कला को और अधिक आधुनिक उपकरणों के साथ आगे बढ़ा सकते हैं।
इस योजना का लाभ केवल उन्हीं लोगों को मिलेगा, जो 18 वर्ष या उससे अधिक आयु के हैं। इसके साथ ही परिवार में से केवल एक ही सदस्य इस स्कीम का फायदा ले सकता है। शर्त यह भी है कि कारीगर का परिवार पारंपरिक रूप से कारीगरी से जुड़ा रहा हो।
योजना के अनुसार यदि परिवार का कोई सदस्य पहले से किसी अन्य सरकारी योजना से लाभ ले रहा है, तो वह इस योजना का फायदा नहीं उठा सकता। इसके अलावा यदि परिवार का कोई सदस्य सरकारी नौकरी में है, तो भी वह लाभार्थी नहीं बन सकता।
पीएम विश्वकर्मा योजना ने कारीगरों और शिल्पकारों को एक नई पहचान देने का काम किया है। यह योजना न केवल उन्हें वित्तीय सहायता देती है बल्कि उनकी कला और हुनर को आधुनिक युग में टिकाए रखने का भी प्रयास करती है। मशीनीकरण के दौर में जब हस्तकला को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे समय में यह योजना उनके लिए वरदान साबित हो रही है।
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