एजेंसी, नई दिल्ली। PM Vishwakarma Yojana की शुरुआत 17 सितंबर 2023 को विश्वकर्मा जयंती पर हुई थी। दो साल पूरे होने पर सरकार ने इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का अपडेट साझा किया है। ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, अब तक करीब 30 लाख कारीगरों और शिल्पकारों ने इस योजना में रजिस्ट्रेशन कराया है। इनमें से लगभग 26 लाख लोगों को कौशल सत्यापन और प्रशिक्षण का लाभ भी मिल चुका है।
योजना का सबसे अहम पहलू आर्थिक सशक्तिकरण है। सरकार ने बताया कि अब तक 4.7 लाख ऋणों को स्वीकृति दी गई है, जिनकी कुल राशि 41,188 करोड़ रुपये है। इससे पारंपरिक पेशों से जुड़े लोगों को न केवल काम जारी रखने में मदद मिली, बल्कि अपने हुनर को और निखारने का अवसर भी मिला।
सबसे ज्यादा पंजीकरण राजमिस्त्री पेशे से जुड़े लोगों के हुए हैं, जिससे यह संकेत मिलता है कि निर्माण कार्य से जुड़े पारंपरिक व्यवसाय आज भी रोजगार का बड़ा साधन बने हुए हैं। योजना के तहत 23 लाख से अधिक ई-वाउचर भी टूलकिट प्रोत्साहन के रूप में जारी किए गए, जिनसे कारीगर नए औजार खरीदकर अपने काम की गुणवत्ता सुधार सकते हैं।
सरकार का कहना है कि इस योजना का मकसद सिर्फ पंजीकरण तक सीमित नहीं है, बल्कि कारीगरों को आधुनिक तकनीक, वित्तीय सहयोग और बाज़ार तक पहुंच प्रदान करना भी है। योजना का कुल वित्तीय परिव्यय 13,000 करोड़ रुपये तय किया गया है, जो 2023–24 से 2027–28 तक लागू रहेगा। यह कार्यक्रम न केवल ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में शिल्पकला को प्रोत्साहित करता है बल्कि महिला सशक्तिकरण और वंचित समूहों को भी विशेष प्राथमिकता देता है।