
डिजिटल डेस्क: मुंगेर जिले के एक छोटे से गांव लखनपुर से निकलकर राजनीति के उभरते चेहरे बने सम्राट चौधरी (Samrat Choudhary) को आज सर्वसम्मति से एक बार फिर बिहार भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया। एनडीए सरकार की जीत में उनकी अहम भूमिका और संगठनात्मक योगदान को देखकर पार्टी ने यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी उन्हें सौंप दी। तरापुर सीट से मिली ऐतिहासिक जीत ने उनकी राजनीतिक स्थिति को और मजबूत किया है।
57 वर्षीय सम्राट चौधरी कोइरी (कुशवाहा) समुदाय से आते हैं और नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली NDA सरकार में उपमुख्यमंत्री पद के प्रमुख दावेदार माने जा रहे हैं। भाजपा में OBC नेतृत्व की पहचान को मजबूती देने में उनकी भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही है।

विधायक दल का नेता चुने जाने के बाद सम्राट चौधरी ने पार्टी नेतृत्व का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि बिहार के सर्वांगीण विकास के लिए वे पूरी प्रतिबद्धता से काम करेंगे।
सम्राट चौधरी ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत 1990 में राजद से की। 1999 में वे राबड़ी देवी मंत्रिमंडल में कृषि मंत्री बने, लेकिन आयु विवाद (25 वर्ष से कम होने) के कारण उसी वर्ष उन्हें पद छोड़ना पड़ा।
इसके बाद वे 2000 और 2010 में परबत्ता से विधायक चुने गए और 2010 में विपक्ष के मुख्य सचेतक बने। 2014 में वे जदयू में शामिल हुए और जीतन राम मांझी सरकार में शहरी विकास एवं आवास मंत्री बने।

2017-2018 में भाजपा में आने के बाद सम्राट चौधरी ने संगठन में उल्लेखनीय तेजी से स्थान बनाया। वे पार्टी के उपाध्यक्ष और बाद में प्रदेश अध्यक्ष बने। 2020 में वे विधान परिषद के सदस्य बनाए गए। 2021-2022 में वे पंचायती राज मंत्री रहे, जबकि अगस्त 2022 से अगस्त 2023 तक उन्होंने विधान परिषद में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभाई। मार्च 2023 से जुलाई 2024 तक वे बिहार भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष रहे। इसी दौरान उन्होंने वह प्रसिद्ध ‘पगड़ी न उतारने’ की शपथ ली, जिसे भाजपा की सत्ता वापसी के साथ ही पूरा किया।
जनवरी 2024 में उन्हें भाजपा विधायक दल का नेता चुना गया और वे उपमुख्यमंत्री बने। उन्होंने वित्त, स्वास्थ्य और शहरी विकास जैसे महत्वपूर्ण विभाग संभाले।
2025 के विधानसभा चुनाव में उन्होंने तरापुर सीट से 1,22,480 वोटों के बड़े अंतर से जीत हासिल की और आरजेडी उम्मीदवार अरुण कुमार को 45,843 वोटों से हराया। आज वे बिहार में लव-कुश (कुर्मी–कोइरी) समीकरण को मजबूती देने वाले एनडीए के प्रमुख OBC नेता के रूप में उभर चुके हैं।
16 नवंबर 1968 को जन्मे सम्राट चौधरी का परिवार लंबे समय से बिहार की राजनीति में सक्रिय है। उनके पिता शकुनी चौधरी सात बार विधायक और सांसद रहे हैं, जबकि मां पार्वती देवी 1995 में तरापुर से विधायक थीं।
उनकी शैक्षणिक योग्यता भी विवादों में रही। जहां वे अपने दस्तावेजों में मदुरै कमराज विश्वविद्यालय से डी.लिट. की डिग्री का उल्लेख करते हैं, वहीं 2010 के हलफनामे में 7वीं तक पढ़ाई दर्शाई गई थी। 2025 में प्रशांत किशोर ने भी उनकी डिग्री पर सवाल उठाया था। उनकी पत्नी ममता कुमारी वकील हैं और उनके दो बच्चे हैं।
सम्राट चौधरी का करियर विवादों से भी अछूता नहीं रहा-
इन सबके बावजूद वे भाजपा के सबसे प्रभावशाली OBC नेताओं में अपना स्थान बना चुके हैं।
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