एजेंसी, दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को शिक्षा जगत से जुड़े हजारों शिक्षकों पर असर डालने वाला बड़ा आदेश सुनाया है। SC ने स्पष्ट कर दिया है कि अब नौकरी और पदोन्नति चाहने वाले सभी शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET Exam) पास करना अनिवार्य होगा। यह आदेश पूरे देश के सरकारी और गैर-सरकारी शिक्षण संस्थानों पर लागू होगा, लेकिन अल्पसंख्यक दर्जा प्राप्त स्कूलों को इसमें छूट दी गई है।
जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस मनमोहन की बेंच ने कहा कि जिन शिक्षकों की नौकरी में पांच साल से ज्यादा का समय शेष है, उन्हें हर हाल में TET पास करना होगा। अगर ऐसा नहीं किया गया तो उन्हें या तो इस्तीफा देना होगा या फिर कंपल्सरी रिटायरमेंट लेनी पड़ेगी। वहीं, जिनकी सेवा अवधि पांच साल से कम है, उन्हें अपने पद पर बने रहने के लिए टीईटी देना अनिवार्य नहीं होगा, लेकिन अगर वे पदोन्नति चाहते हैं तो परीक्षा पास करनी होगी।
कोर्ट ने 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों के लिए दो साल की मोहलत दी है। उन्हें इस अवधि में TET पास करना होगा, अन्यथा उन्हें केवल सेवांत लाभ मिलेगा और नौकरी समाप्त हो जाएगी।
अल्पसंख्यक संस्थानों को राहत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फिलहाल यह आदेश उन पर लागू नहीं होगा, क्योंकि शिक्षा का अधिकार अधिनियम अल्पसंख्यक स्कूलों पर लागू होता है या नहीं, इस पर बड़ी पीठ में सुनवाई लंबित है।
TET (टीचर एलिजिबिलिटी टेस्ट) राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (NCTE) द्वारा 2010 में अनिवार्य किया गया था। यह परीक्षा तय करती है कि कोई उम्मीदवार कक्षा 1 से 8 तक पढ़ाने के योग्य है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट के ताजा आदेश से हजारों शिक्षक प्रभावित होंगे, खासकर वे जिन्हें प्रमोशन की उम्मीद थी।
बेसिक शिक्षा विभाग के अनुसार, बड़ी संख्या में 2010 से पहले नियुक्त शिक्षक इससे प्रभावित होंगे। हालांकि, विभाग के पास फिलहाल उन शिक्षकों की सटीक सूची नहीं है जो टीईटी पास कर चुके हैं या जिनकी सेवा अवधि पांच साल से अधिक शेष है।
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