सुप्रीम कोर्ट ने पलटा आंध्र सरकार का फैसला, श्रीशैलम मंदिर परिसर में मुस्लिम भी खोल सकेंगे दुकान
Srisailam temple हाईकोर्ट ने तब आंध्र सरकार के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
By Sandeep Chourey
Edited By: Sandeep Chourey
Publish Date: Sat, 18 Dec 2021 11:29:52 AM (IST)
Updated Date: Sat, 18 Dec 2021 01:25:39 PM (IST)

नई दिल्ली Srisailam temple । सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि गैर हिंदुओं को आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम मंदिर परिसर में कारोबार करने से नहीं रोका जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस एएस बोपन्ना ने 17 दिसंबर को अपने फैसले में कहा कि अन्य धर्मों को मानने वाले उन दुकानदारों को नीलामी प्रक्रिया में शामिल होने से नहीं रोका जा सकता, जिनकी दुकानें मंदिर परिसर में पहले से मौजूद हैं।
इस मामले में दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए पीठ ने आंध्र सरकार से कहा, "एक बार आप कह सकते हैं कि मंदिर परिसर में शराब या ऐसी कोई दुकान नहीं खोली जा सकती, लेकिन हिंदू के अलावा कोई और दुकान नहीं खोल सकता है, यह कहना उचित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप यह कैसे कह सकते हैं कि गैर हिंदू वहां फूल और खिलौने भी नहीं बेच सकते?" इस मामले में आंध्र प्रदेश सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने अपना पक्ष रखा था।
आंध्र सरकार के आदेश पर था विवाद
गौरतलब है कि इससे पहले आंध्रप्रदेश सरकार ने केवल हिंदू धर्म के अनुयायियों के लिए मंदिर के बगल की दुकानों की नीलामी में भाग लेने का अधिकार देने का आदेश दिया था। इस मामले को लेकर सितंबर 2019 में सैयद जानी बाशा ने आंध्र सरकार के इस आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने तब आंध्र सरकार के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
याचिकाकर्ता सैयद जानी बाशा ने इसके बाद जीवन के अधिकार का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई थी। याचिकाकर्ता ने यह भी कहा कि वर्ष 1980 से पहले सभी दुकानदार वहां अपने प्रतिष्ठान चला रहे थे, लेकिन इस आदेश के बाद उन्हें धर्म के आधार पर सूचीबद्ध किया गया।
आपको बता दें कि आंध्र सरकार ने वर्ष 2015 में एक आदेश जारी किया था कि श्रीशैलम मंदिर से जुड़ी दुकानों की नीलामी प्रक्रिया में हिंदुओं को छोड़कर किसी अन्य धर्म का व्यक्ति भाग नहीं ले सकता है। यह आदेश उन धार्मिक क्षेत्रों के लिए था, जो आंध्र प्रदेश चैरिटेबल एंड हिंदू धर्म संस्थान एंडोमेंट एक्ट 1987 के तहत आते हैं।