
डिजिटल डेस्क: श्री माता वैष्णो देवी इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल एक्सीलेंस में एमबीबीएस के पहले बैच के प्रवेश को लेकर विवाद (Vaishno Devi Medical College Controversy) गहरा गया है। आरोप है कि कुल 50 सीटों में से 42 मुस्लिम छात्रों को आवंटित की गईं, जिससे हिंदू संगठनों में नाराज़गी बढ़ गई है। उनका कहना है कि चूंकि यह संस्थान श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के अंतर्गत चलता है और इसमें सरकारी अनुदान नहीं, बल्कि श्रद्धालुओं के दान से संचालन होता है, इसलिए हिंदू छात्रों को प्राथमिकता दी जानी चाहिए थी।
यह मेडिकल कॉलेज कटड़ा स्थित श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय कैंपस में स्थापित है। जम्मू-कश्मीर बोर्ड ऑफ प्रोफेशनल एंट्रेंस एग्जामिनेशन यहां भी वही प्रक्रिया अपनाता है, जो प्रदेश के अन्य मेडिकल कॉलेजों में लागू है। अभी तक 36 छात्रों ने दाखिला लिया है, जिनमें बड़ी संख्या मुस्लिम समुदाय की बताई जा रही है। बची सीटों के लिए जल्द ही पुनः काउंसलिंग की जाएगी।
विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष राजेश गुप्ता ने इसे ‘असामान्य प्रवेश’ बताते हुए चिंता जताई और कहा कि हिंदू श्रद्धालुओं के सहयोग से बने कॉलेज में हिंदू विद्यार्थियों को प्राथमिकता मिलनी चाहिए। परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री बजरंग बगड़ा ने 5 नवंबर को उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और श्राइन बोर्ड सदस्यों को पत्र भेजकर आपत्ति जताई।
उन्होंने हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के हालिया फैसले का हवाला देते हुए कहा कि हिंदुओं द्वारा दिया गया दान हिंदू उद्देश्यों के लिए ही इस्तेमाल होना चाहिए। परिषद ने सुरक्षा चुनौतियों और पवित्र संस्थानों की रक्षा को गंभीर मुद्दा बताया।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने भी प्रवेश प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं। प्रदेश सचिव सनक श्रीवत्स ने कहा कि प्रवेश से जुड़े आरोपों की पूरी जांच होनी चाहिए और जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जानी चाहिए। उन्होंने छात्रों के अधिकारों व मेरिट-आधारित चयन की आवश्यकता दोहराई।
उधर, सनातन धर्म सभा जम्मू-कश्मीर के प्रधान पुरुषोत्तम दद्दीची ने कहा कि चढ़ावा चढ़ाने वाले सनातन समाज के लोगों की भावना का सम्मान होना चाहिए। उन्होंने मांग की कि श्राइन बोर्ड के अधिनियम में संशोधन कर इसके सभी संस्थानों में 90 फीसदी सीटें सनातन समाज के छात्रों के लिए आरक्षित की जाएं।
वहीं, श्री माता वैष्णो देवी विश्वविद्यालय कैंपस में मांसाहारी भोजन पर पूर्ण प्रतिबंध जारी है। हॉस्टल और मेस में मांस से संबंधित कोई भी व्यंजन नहीं बनाया जाता। विश्वविद्यालय प्रशासन छात्रों की वापसी के दौरान उनके सामान की कड़ाई से जांच करता है ताकि मांस, मीट या मदिरा जैसी वस्तुएं कैंपस में प्रवेश न करें।
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