डिजिटल डेस्क। आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई को नई दिशा देते हुए एनआईए (NIA) की 'एंटी टेरर कॉन्फ्रेंस' के दौरान एक विशेष डिजिटल प्लेटफॉर्म लॉन्च किया गया है। इसका मुख्य उद्देश्य देश भर में हथियारों की आवाजाही पर रियल-टाइम निगरानी रखना और उनके अवैध व्यापार को जड़ से खत्म करना है।
इस सिस्टम का आधिकारिक नाम 'लॉस्ट, लूटेड एंड रिकवर्ड फायरआर्म्स' (LLR Firearms) रखा गया है। यह एक ऐसा साझा रिकॉर्ड है जिसमें देशभर से चोरी हुए, लूटे गए या सुरक्षा बलों द्वारा बरामद किए गए सभी हथियारों की जानकारी दर्ज होगी। प्रत्येक हथियार को उसके सीरियल नंबर, मॉडल, कैलिबर और बरामदगी के स्थान के आधार पर ट्रैक किया जाएगा।
मेजबानी और एक्सेस: इस प्लेटफॉर्म का संचालन राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) करेगी। इसे एक सुरक्षित नेटवर्क पर रखा गया है, जिसका एक्सेस केवल अधिकृत पुलिस अधिकारियों और सुरक्षा एजेंसियों के पास ही होगा।
एनालिटिक्स आधारित जांच: यह महज एक डेटा स्टोरेज नहीं है। यदि कोई पुराना हथियार किसी नई वारदात में मिलता है, तो सिस्टम तुरंत उसकी पूरी 'क्राइम हिस्ट्री' दिखा देगा।
राज्यों के बीच समन्वय: एक राज्य की पुलिस दूसरे राज्य में बरामद हथियारों का डेटा तुरंत देख सकेगी, जिससे अंतर-राज्यीय जांच में तेजी आएगी।
अब तक हथियारों का डेटा अलग-अलग राज्यों के पास बिखरा हुआ था। अपराधी अक्सर एक राज्य से हथियार चुराकर दूसरे राज्य में वारदात को अंजाम देते थे, जिससे जांच एजेंसियां उनके स्रोत तक नहीं पहुंच पाती थीं।
उदाहरण के लिए: यदि बिहार से कोई हथियार चोरी होता है और वह उत्तर प्रदेश में किसी अपराध में इस्तेमाल किया जाता है, तो यह डेटाबेस तुरंत अलर्ट देगा कि वह हथियार मूलतः कहाँ का है और किस एफआईआर से जुड़ा है।
इस प्रणाली से सबसे ज्यादा फायदा राज्य पुलिस, स्पेशल टास्क फोर्स (STF), सीमा सुरक्षा बलों और खुफिया एजेंसियों को होगा। संगठित गिरोहों के नेटवर्क को तोड़ने और सीमा पार से आने वाले हथियारों की पहचान करने में यह तकनीक 'गेम चेंजर' साबित होगी।
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