
डिजिटल डेस्क: साल 2025 अब अपने अंतिम पड़ाव पर है और यह वर्ष कई निर्णायक क्षणों, संघर्षों और उपलब्धियों का साक्षी रहा। खास बात यह रही कि इस पूरे साल महिलाओं ने केवल घटनाओं की दर्शक बनकर नहीं, बल्कि दिशा तय करने वाली शक्ति के रूप में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। राजनीति से लेकर युद्ध के जवाब तक, खेल के मैदान से लेकर वैश्विक नेतृत्व तक, महिलाओं ने हर मोर्चे पर असर डाला।
अप्रैल 2025 में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 भारतीय नागरिकों की जान गई। इस हमले में आतंकियों द्वारा पुरुषों को विशेष रूप से निशाना बनाया गया। घटना के बाद एक तस्वीर, जिसमें एक महिला अपने पति के शव के पास बैठी दिखी, पूरे देश की भावनाओं का प्रतीक बन गई।

इसके जवाब में भारतीय सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया, जिसके तहत पाकिस्तान और गुलाम कश्मीर में मौजूद 9 आतंकी ठिकानों को नष्ट किया गया। लाल और काले रंग में उभरी इस कार्रवाई की प्रतीकात्मकता ने प्रतिशोध, संकल्प और आतंकवाद के खिलाफ भारत की स्पष्ट नीति को दर्शाया।
ऑपरेशन के बाद राष्ट्र के नाम संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आतंकवादियों ने भारत की बहनों के माथे से सिंदूर मिटाने का प्रयास किया, इसलिए भारत ने आतंक के अड्डों को ही समाप्त कर दिया।

खेलों के लिहाज से भी 2025 महिलाओं के नाम रहा। हरमनप्रीत कौर, जेमिमा रोड्रिग्स, दिव्या देशमुख, शीतल देवी, निकहत जरीन, स्टैनज़िन डोलकर, अनाहत सिंह और भारतीय महिला फुटबॉल खिलाड़ियों ने देश को नई पहचान दी।
सबसे ऐतिहासिक क्षण तब आया जब भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने अपना पहला वनडे विश्व कप जीता। शतरंज में दिव्या देशमुख सबसे कम उम्र की महिला विश्व कप चैंपियन बनीं, जबकि पैरा तीरंदाज शीतल देवी ने पैरा-विश्व खिताब जीतकर सक्षम शारीरिक वर्ग की कंपाउंड टीम में भी स्थान बनाया। उभरते और समावेशी खेलों में भी महिलाओं के प्रदर्शन ने 2025 को यादगार बना दिया।
2025 में दुनिया के कई देशों में महिलाओं ने पहली बार सर्वोच्च पद संभाले। मार्च में नामीबिया में नेटुम्बो नंदी-नदैतवाह ने देश की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली। जुलाई में दक्षिण अमेरिका के सूरीनाम ने जेनिफर गीरलिंग्स-साइमन्स को पहली महिला राष्ट्रपति चुना, ऐसे समय में जब देश आर्थिक बदलावों के दौर से गुजर रहा था।
अक्तूबर में सनाए ताकाइची का जापान की पहली महिला प्रधानमंत्री बनना वहां की पारंपरिक राजनीति में एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हुआ और जनता की अपेक्षाओं में बदलाव का संकेत भी।
2025 में बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए को निर्णायक जीत मिली और नीतीश कुमार ने 10वीं बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इस जीत के पीछे सबसे बड़ा कारण महिला मतदाताओं की मजबूत भागीदारी रही।
चुनाव में 71.6% महिलाओं ने मतदान किया, जो पुरुषों से लगभग 9 प्रतिशत अंक अधिक था। यह आंकड़ा 2020 के 59.7% के मुकाबले बड़ी छलांग को दर्शाता है। चुनाव से पहले 1.5 करोड़ से अधिक महिलाओं को 10,000 रुपये का नकद हस्तांतरण भी एक महत्वपूर्ण कारक साबित हुआ। 2005 से महिला-केंद्रित नीतियों का समर्थन इस बार निर्णायक उभार में बदल गया।
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