International Yoga Day 2023: योग की जड़ें हमारी सनातन संस्कृति से जुड़ी हैं। हिंदुस्तान की प्राचीन कला को संतों और गुरुओं ने दुनियाभर में पहचान दिलाई है। साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग दिवल मनाने का आह्ववान किया था। इसके तीन महीने बाद ही महासभा ने इसके आयोजन की घोषणा कर दी। साल 2015 में पहली बार वैश्विक तौर पर योग दिवस मनाया गया था। योग की परंपरा वर्षों पुरानी है। इसके जनक महर्षि पतंजलि है।
क्या आपने कभी सोचा है कि आखिर योग दिवस के लिए 21 जून को क्यों चुना गया। इस दिन का संक्रांति से खास कनेक्शन है। आइए आगे जानते हैं।
यह पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है कि भारत में योग कब से किया जा रहा है। इसका जनक महर्षि पतंजलि को माना जाता है। इस लिहाज से योग का इतिहास 200 ईसापूर्व है। हालांकि शोधकर्ता मानते हैं कि योग का प्रभाव सिंधु
घाटी सभ्यता के दौरान था। मोहनजोदड़ों से मिली पशुपति मुहर से इसका पता चलता है। वहीं, ऋग्वेद के एक श्लोक में उगते सूर्य के लिए योग शब्द का जिक्र किया गया है।
साल का सबसे बड़ा दिन 21 जून को होता है। यह पूरे उत्तरी गोलार्ध का सबसे बड़ा दिन होता है। इसे ग्रीष्म कालीन संक्रांति कहते हैं। योग दिवस इस दिन मनाए जाने के पीछे यही बड़ा कारण है।
- 21 जून को ग्रीष्म संक्रांति होती है। इस दिन उत्तरी गोलार्द्ध में साल का सबसे लंबा दिन और सबसे छोटी रात होती है। इस दौरान उत्तरी गोलार्द्ध के देश सूरज के सबसे नजदीक होते हैं। सूर्य कर्क रेखा पर ऊपर की ओर चमकता है।
- संक्रांति के दौरान पृथ्वी की धुरी जिसके चारों तरफ ग्रह एक चक्कर पूरा कर लेते हैं।
- भारतीय परंपरा के अनुसार, ग्रीष्म संक्रांति के बाद सूर्य दक्षिणायन हो जाता है। इससे आध्यात्मिक सिद्धियां प्राप्त करने के लिए अनुकूल माना गया है।