- नई नौकरियां पैदा होने की दर दिसंबर, 2017 के बाद सबसे ज्यादा
- लगातार 11वें महीने 50 से ऊपर रही मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की पीएमआई
नई दिल्ली। एजेंसी
जून में घरेलू मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियां इस साल अब तक सबसे तेज रहीं। घरेलू ऑर्डर और निर्यात ऑर्डर बढ़ने की वजह से यह उपलब्धि हासिल हुई।
निक्केई इंडिया मैन्युफैक्चरिंग पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (पीएमआई) जून में 53.1 के स्तर पर पहुंच गया, जो दिसंबर 2017 के बाद सबसे तेज सुधार दर्शाता है। मई में यह सूचकांक 51.2 पर था। यह लगातार 11 वां महीना है, जब मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर का पीएमआई 50 के स्तर से ऊपर रहा। पीएमआई 50 से ऊपर रहना वृद्घि का संकेत होता है, जबकि इससे नीचे आना दर्शाता है।
आईएचएस मार्किट की अर्थशास्त्री और रिपोर्ट की लेखिका आशना दोधिया ने कहा, 'मांग बढ़ने से भारत की मैन्युफैक्चरिंग इकोनॉमी अप्रैल-जून तिमाही में तेज रही। पिछले साल दिसंबर के बाद से नए ऑर्डर बढ़ने और उत्पादन में वृद्घि से यह संभव हुआ।' उत्पादन संबंधी जरूरतें पूरी करने के लिए मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की कंपनियों ने खरीद गतिविधियां बढ़ाईं, लिहाजा कर्मचारियों की नियुक्ति प्रक्रिया तेज की गई है।
सख्त मौद्रिक नीति की आशंका
दोधिया ने कहा कि रोजगार के मोर्चे पर सर्वेक्षण बेहतर श्रम बाजार की तरफ इशारा करता है। नई नौकरियां पैदा होने की दर दिसंबर, 2017 के बाद सबसे तेजी से बढ़ी है। लागत मूल्य और उत्पादन मूल्य लगातार बढ़ रहा है, जो संकेत देता है कि भारतीय रिजर्व बैंक मौद्रिक नीति सख्त कर सकता है। दोधिया ने कहा कि लागत मूल्य मुद्रास्फीति जुलाई 2014 के बाद सबसे तेज गति से बढ़ी है। यह बताता है कि केंद्रीय बैंक पर मौद्रिक नीति मजबूत करने का दबाव हो सकता है।