
इंदौर। इस साल 31 मार्च को हनुमान जयंती मनाई जाएगी। यूं तो देश में महावीर के कई सिद्ध मंदिर और अनूठी मूर्तियां हैं। मगर इंदौर में अंजनि पुत्र की ऐसी प्रतिमा है, जो दुनिया में शायद ही कहीं हो।
शहर से सटे पितृ पर्वत की पहचान यूं तो पुरखों की याद में लगाए गए पौधों से है। मगर अब इसकी पहचान प्रभु श्रीराम के सबसे बड़े भक्त हनुमान की 66 फुट ऊंची प्रतिमा से होगी। ये मूर्ति बड़ी खास है। क्योंकि इसमें बजरंग बली प्रभु श्रीराम की भक्ति में लीन नजर आ रहे हैं। ध्यान मुद्रा में बैठे हनुमान जी की प्रतिमा देश में सबसे ऊंची है। पिछले दस सालों से इसे बनाने का काम चल रहा है, जो अब लगभग पूरा हो चुका है। बस अष्टधातु की इस प्रतिमा पर स्पेशल एक्रेलिक गोल्ड पेंट लगाने का काम बाकी है। जो कुछ हफ्तों के भीतर पूरा हो जाएगा।
दस साल से चल रहा मूर्ति बनाने का काम-
पिछले दस सालों से ग्वालियर के मूर्तिकार प्रभात राय की अगुवाई में पितृ पर्वत पर विराजे हनुमान जी की मूर्ति को आकार देने का काम चल रहा है। ग्वालियर में ही बैठे हनुमान जी की 66 फुट ऊंची प्रतिमा का मिट्टी का मॉडल तैयार किया गया। इसके बाद सांचा तैयार करने का काम हुआ। फिर इस प्रतिमा को अलग-अलग हिस्सों में इसे इंदौर लाने का काम हुआ।
अष्टधातु की इस मूर्ति के साथ 21 टन की गदा भी आई है। इसे दो क्रेन और बीस लोगों की मदद से ट्राले पर रखकर यहां लाया गया था। फिर क्रेन की मदद से पितृ पर्वत पर इसे चढ़ाया गया और धीरे-धीरे इसे वेल्डिंग कर जोड़ने का काम शुरू हुआ। फिलहाल मूर्ति का सारा काम पूरा हो चुका है। बस पॉलिशिंग का काम बचा है। जो कुछ दिनों के भीतर पूरा हो जाएगा और इस साल शारदीय नवरात्र के मौके पर इस मंदिर को जनता के लिए खोल दिया जाएगा। पूरा तैयार होने के बाद इस मूर्ति का वजन 90 टन और ऊंचाई 128 फुट होगी।
खास एक्रेलिक पेंट का हो रहा इस्तेमाल-
ये देश में बैठे हुए हनुमान जी की सबसे ऊंची प्रतिमा है। 128 फुट ऊँची इस प्रतिमा को बनाने में सोना, चाँदी, प्लेटिनम, पारा, एंटीमनी, जस्ता, सीसा और रांगा का इस्तेमाल हुआ है। इसमें खास पेंट का इस्तेमाल हो रहा है। जिससे इस मूर्ति पर सालों-साल मौसम की मार नहीं पड़ेगी। देश में ये अपनी तरह की पहली मूर्ति होगी, जिस पर ऐसे पेंट का इस्तेमाल होगा। अभी बैंकॉक में लगी महात्मा बुद्ध की प्रतिमा पर ऐसे पॉलिश का इस्तेमाल हुआ है।
मूर्ति के ऊपर चढ़ेगा खास छत्र-
ध्यान मुद्रा में विराजे हनुमान जी की इस प्रतिमा पर अष्टधातु का छत्र भी चढ़ाया जाएगा। जिसे आकार देने का काम अंतिम दौर में चल रहा है। ये छत्र भी बेहद खास होगा। इसपर 108 बार रामनाम लिखा होगा और नीचे की तरफ सियाराम अंकित होगा। इस पर भी खास पॉलिश होगी। जो हर मौसम की मार से मूर्ति को बचाएगी।
बजरंगबली के हाथों में होगी रामायण-
अष्टधातु की इस मूर्ति के एक हाथ में रामायण भी होगी। जिसका आकार 15x22 फीट होगा। इस रामायण का वजन भी लगभग दस टन होगा। ये भी आकार ले चुकी है और पॉलिश का काम पूरा होने के बाद इसे मूर्ति के हाथ में लगा दिया जाएगा।
ऐसे मिला पितृरेश्वर हनुमान नाम-
इस मूर्ति के पितृ पर्वत पर स्थापित होने की कहानी भी काफी दिलचस्प है। ऐसी मान्यता है कि इंदौर शहर पर पितृ दोष है। इसी दोष को दूर करने के लिए ही पितृ पर्वत पर अष्टधातु की हनुमान जी की प्रतिमा स्थापित करने के बारे में सोचा गया और इसका नाम पितृरेश्वर हनुमान रखा गया। ग्वालियर के डेढ़ दर्जन से ज्यादा कारीगर पिछले कई साल से संकटमोचक की इस मूर्ति को आकार देने के काम कर रहे हैं। उनकी मेहनत का ही नतीजा है कि आज ये विशाल प्रतिमा का पूरा स्वरुप सामने आ गया है।
पिछले दस सालों से इस मूर्ति को बनाने का काम चल रहा है। पहले मिट्टी का सांचा तैयार किया गया। उसके बाद कई हिस्सों में मूर्ति निर्माण का काम पूरा करने के बाद ग्वालियर से इसे यहां लाया गया। मूर्ति पर छत्र लगाया जा रहा है। जिस पर 108 बार श्रीराम नाम लिखा होगा- प्रभात राय, मूर्तिकार