Ram-Ravan Yuddha धर्म डेस्क, इंदौर। त्रेता युग में श्री राम और रावण की सेना के बीच लंका में भयंकर युद्ध हुआ था। इस युद्ध में श्री राम ने विजय हासिल की और विभीषण को लंका का राजसिंहासन सौंपकर वापस अयोध्या लौट आए थे। लेकिन श्री राम जो विशाल सेना लेकर लंका ले गए थे, उसका इस युद्ध के बाद क्या हुआ। यह बहुत कम लोगों को ही पता है और इसका कम ही कथाओं में उल्लेख मिलता है।
दरअसल, जब श्री राम मां सीता की खोज में निकले तो उन्होंने वानरों के राजा सुग्रीव के साथ मिलकर एक विशाल सेना का निर्माण किया। इस सेना में वानर, भालू और रीछ शामिल थे। इसी सेना के साथ श्री राम ने युद्ध लड़ा और जीतकर अयोध्या लौट गए।
श्री राम ने सुग्रीव को किष्किंधा का राजा बनाया था। वहीं जब श्री राम अयोध्या लौटे तो उनके राज्याभिषेक के बाद सुग्रीव भी अपने राज्य में वापस आ गए और उन्होंने अपने पुत्र अंगद के साथ किष्किंधा में कई सालों तक शासन किया। माना जाता है कि वानरों की यह विशाल सेना भी सुग्रीव के साथ ही रही, हालांकि इस सेना ने बाद में कोई बड़ा युद्ध नहीं लड़ा था।
श्री राम के साथ रावण से युद्ध लड़ने वाले महाबली वानर सुग्रीव के राज्य में कई बड़े पदों पर रहे। नल-नील सुग्रीव के मंत्री बने तो अंगद ने सुग्रीव के साथ मिलकर किष्किंधा के राज्य को आगे बढ़ाया।
माना जाता है कि कर्नाटक राज्य के बेल्लारी जिले में स्थित तुंगभद्रा नदी के किनारे किष्किंधा राज्य हुआ करता था, जो कि हंपी के पास में है। यहां कई गुफाएं हैंं। माना जाता है कि इन्हीं गुफाओं में वनार रहा करते थे।
गौरतलब है कि हनुमान जब सीता मां की खोज पूरी कर लौटे थे, जिसके बाद श्री राम ने लंका पर चढ़ाई करने का मन बनाया इसके बाद उन्होंने वानरों की एक विशाल सेना का निर्माण किया। इस सेना में अलग-अलग क्षेत्र से आए वानर और भालू शामिल थे। इन सभी ने नल नील की मदद से रामसेतु का निर्माण किया था।
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