नईदुनिया प्रतिनिधि, मुरैना। चंबल अंचल का ऐंती पर्वत स्थित शनि मंदिर अब केवल आस्था का केंद्र ही नहीं, बल्कि देश-विदेश के पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण भी बन गया है। बीते डेढ़ दशक में जब से प्रशासन ने मंदिर की व्यवस्थाओं को संभाला, तब से यहां विकास की तस्वीर बदल गई है। यही कारण है कि आज ऐंती शनि मंदिर को ‘शनि लोक’ बनाने की दिशा में काम हो रहा है और यहां लाखों श्रद्धालु व विदेशी पर्यटक पहुंच रहे हैं।
त्रेतायुग से जुड़ा धार्मिक महत्व
मान्यता है कि ऐंती शनि मंदिर त्रेतायुग काल का है। लंबे समय तक यह मंदिर केवल आसपास के क्षेत्रों में ही जाना जाता था। परंतु लगभग डेढ़ दशक पहले तत्कालीन कलेक्टर आकाश त्रिपाठी ने इसके महत्व को समझा और निजी खर्च से जीर्णोद्धार की शुरुआत की। इसके बाद तत्कालीन कलेक्टर एम.के. अग्रवाल ने मंदिर निर्माण और अन्य विकास कार्य करवाए। यहीं से इस मंदिर की ख्याति दूर-दूर तक फैलने लगी।
प्रशासन और जनभागीदारी से हुआ कायाकल्प
पूर्व अपर कलेक्टर एस.के. मिश्रा ने मंदिर परिसर में हरियाली बढ़ाने का अभियान चलाया। पुराने मकानों और दीवारों में उगे पीपल और बरगद के पौधों को यहां स्थानांतरित किया गया, जो आज विशाल वृक्ष बन चुके हैं। मंदिर के पास स्थायी बाजार की भी व्यवस्था की गई है, जिससे सैकड़ों लोगों को रोजगार मिला है।
वास्तु और पर्यटन का नया केंद्र
अयोध्या के राममंदिर निर्माण से जुड़े आर्किटेक्ट ने यहां भव्य तोरण द्वार का निर्माण किया। वर्तमान में मंदिर के छह किमी लंबे परिक्रमा मार्ग का विकास हो रहा है। इसमें चंबल अंचल के प्रसिद्ध संतों की मूर्तियों के साथ भगवान शंकर की 100 फीट ऊंची प्रतिमा लगाने की योजना है।
शनि अमावस्या का सबसे बड़ा मेला
हर शनिवार यहां श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। लेकिन सबसे खास अवसर शनि अमावस्या का होता है, जब यहां पांच से सात लाख श्रद्धालु पहुंचते हैं। इनमें देशभर के साथ विदेश से आए पर्यटक भी शामिल होते हैं।
शनि लोक परियोजना: राज्य और केंद्र का सहयोग
उज्जैन के महाकाल लोक की तर्ज पर ऐंती शनि मंदिर को ‘शनि लोक’ के रूप में विकसित किया जा रहा है। इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार ने 10 करोड़ रुपये का बजट स्वीकृत किया है, जबकि केंद्र सरकार से 35 करोड़ रुपये का प्रस्ताव भेजा गया है।
बेहतर सड़कें और उद्योगों का विकास
मंदिर तक पहुंचने के लिए बानमोर, मुरैना और ग्वालियर से अच्छी सड़कें बन चुकी हैं। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने हाल ही में ग्वालियर से शनि मंदिर तक फोरलेन सड़क निर्माण की घोषणा की। सड़कें बनने से इस क्षेत्र में रोजगार देने वाले उद्योग भी आने लगे हैं। पिपरसेवा में इंडस्ट्री एरिया विकसित हो चुका है, जहां बड़े उद्योग स्थापित हो रहे हैं।
पर्यटन का विस्तार : मितावली-बटेश्वर को भी लाभ
शनि मंदिर से छह-सात किलोमीटर की दूरी पर मितावली, पड़ावली और बटेश्वर जैसे ऐतिहासिक स्थल हैं। बेहतर सड़कें बनने और शनि मंदिर की बढ़ती ख्याति के कारण इन पुरातत्व स्थलों पर भी पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
पुरातत्व अधिकारी अशोक शर्मा का कहना है कि “शनि मंदिर की व्यवस्थाओं को प्रशासन ने अपने हाथ में लिया, तब से यहां सुविधाओं का विकास हुआ है। शनि अमावस्या पर यहां देश के हर प्रांत और विदेश से लोग आते हैं। इसका लाभ आगे चलकर मितावली, पड़ावली, नरेश्वर, बटेश्वर और ककनमठ जैसे ऐतिहासिक स्थलों को भी होगा।”