धीरेंद्र सिन्हा, नईदुनिया प्रतिनिधि/ धर्म डेस्कः अमरनाथ गुफा में बाबा बर्फानी के दर्शन कर बिलासपुर का पहला जत्था सकुशल लौट आया है। श्रद्धालुओं के मुताबिक यह यात्रा आस्था, रोमांच और सुरक्षा का सुंदर अनुभव रहा। जम्मू-कश्मीर प्रशासन से लेकर स्थानीय लोगों और सेना के जवानों ने हर मोड़ पर सहयोग किया। पहलगाम से लेकर पवित्र गुफा तक का सफर हर किसी के लिए यादगार रहा। श्रद्धालुओं ने कहा कि अब कश्मीर में डर नहीं, केवल आस्था और सुकून है।
इस साल अमरनाथ यात्रा तीन जुलाई से शुरू हुई है और नौ अगस्त तक चलेगी। बिलासपुर से मनीष अग्रवाल, महेश चंद्रिकापुरे, दुर्गा सोनी, गुड्डा पांडे, मनोज मिश्रा, पवन अग्रवाल, रुपेश अग्रवाल, निखिलेश शर्मा, शिव अग्रवाल, सुनील शर्मा, शैंकी, कृष्णा राव, प्रवीण पांडेय, अमित अग्रवाल, राम रतन अग्रवाल और अंशु शुक्ला सहित 20 श्रद्धालुओं का जत्था सकुशल वापस लौट चुका है।
जत्था उसलापुर रेलवे स्टेशन से दुर्ग-जम्मू तवी एक्सप्रेस से रवाना हुआ था। जम्मू तवी पहुंचने के बाद जत्था पहलगाम गया और वहां से चंदनवाड़ी से चढ़ाई शुरू की। श्रद्धालुओं ने बताया कि पहलगाम से पवित्र गुफा तक लगभग 32 किलोमीटर का पैदल सफर तय करना पड़ा, जबकि बालटाल मार्ग से यह दूरी करीब 14 किलोमीटर रही। पूरे मार्ग पर दिल्ली, पंजाब और हरियाणा से आए सेवादारों ने शाही लंगर, मेडिकल और विश्राम की निःशुल्क व्यवस्था की।
श्रद्धालुओं ने बताया कि नई वंदे भारत ट्रेन से कटरा से श्रीनगर तक का ढाई घंटे का सफर बेहद रोमांचक रहा। चिनाब पुल और कई टनल पार करते हुए घाटी तक की ट्रेन यात्रा बेहद यादगार रही।
यात्रा को आसान बनाने वाली सुविधाएं
सेना की तैनाती, सेवादारी लंगर, मेडिकल कैंप, बेरिकेटिंग और नई रेल कनेक्टिविटी ने अमरनाथ यात्रा को पहले से कहीं ज्यादा आसान और सुरक्षित बना दिया है। बिलासपुर के श्रद्धालुओं ने सभी से अपील की है कि जीवन में एक बार बाबा बर्फानी के दर्शन अवश्य करें। आस्था, साहस और प्राकृतिक सौंदर्य का अद्भुत संगम अमरनाथ यात्रा में देखने को मिलता है।
श्रद्धालुओं ने साझा किए अनुभव
श्रद्धालु मनीष अग्रवाल ने कहा, "बाबा बर्फानी के दर्शन करना मेरे जीवन की सबसे बड़ी उपलब्धि रही। पूरी यात्रा में हर 100 मीटर पर सेना के जवान तैनात थे, जिससे डर बिल्कुल नहीं लगा। हालांकि लोकल पुलिस के व्यवहार में थोड़ा सुधार जरूरी है। कश्मीरी लोग बेहद सेवाभावी हैं और लंगर में जो अपनापन मिला, वह कभी नहीं भूलेंगे।"
श्रद्धालु महेश चंद्रिकापुरे ने कहा, "पहलगाम से पवित्र गुफा तक की चढ़ाई पहले काफी मुश्किल होती थी, लेकिन अब सड़क, टनल और बेरिकेटिंग ने रास्ते को सुरक्षित बना दिया है। हर जगह मेडिकल कैंप हैं। आज का कश्मीर न केवल सुरक्षित है बल्कि बेहद खूबसूरत भी है। रात एक बजे तक भी घाटी जीवंत रहती है।"
श्रद्धालु दुर्गा सोनी ने बताया, "हमारे जत्थे ने पहलगाम में रात बिताई और अगली सुबह चढ़ाई शुरू की। रास्ते में खाने-पीने और दवाओं की हर सुविधा मुफ्त में मिली। चिनाब पुल और वंदे भारत ट्रेन से सफर एक यादगार अनुभव बन गया। बाबा बर्फानी के दर्शन के बाद मन को अद्भुत शांति मिली।"