Ashwin Amavasya 2022: इस समय आश्विन मास का कृष्ण पक्ष चल रहा है। कृष्ण पक्ष श्राद्ध कर्म और तर्पण के लिए होता है। इस पक्ष की हर तिथि काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। इसकी सबसे महत्वपूर्ण तिथि अमावस्या होती है। इस तिथि को आश्विन अमावस्या तिथि कहा जाता है, जो कि सर्व पितृ अमावस्या के नाम से भी प्रचलित है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान करने से पुण्य मिलता है। यह दिन पितरों के लिए भी बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। हिंदू कैलेंडर के मुताबिक आश्विन माह की अमावस्या तिथि 25 सितंबर दिन रविवार को सुबह 03 बजकर 12 मिनट से प्रारंभ हो रही है। यह तिथि अगले दिन 26 सितंबर सोमवार को सुबह 03 बजकर 23 मिनट पर होगी। स्नान, दान के लिए उदया तिथि की काफी मान्यता है। आश्विन अमावस्या या सर्व पितृ अमावस्या 25 सितंबर को है।
कुतुप मुहूर्त सुबह 11 बजकर 48 मिनट से दोपहर 12 बजकर 37 मिनट तक
रोहिणी मुहूर्त दोपहर 12 बजकर 37 मिनट से दोपहर 01 बजकर 25 मिनट तक
अपराह्न काल समय दोपहर 01 बजकर 25 मिनट से दोपहर 03 बजकर 50 मिनट तक
पितरों के श्राद्ध के लिए कुतुप मुहूर्त और रोहिणी मुहूर्त को काफी श्रेष्ठ माना गया है। विद्वानों का कहना है कि किसी भी तिथि पर श्राद्ध सुबह 11:30 बजे से लेकर 02:30 बजे के मध्य कर लेना चाहिए।
आश्विन अमावस्या के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहने वाला है। इसके साथ ही शुभ योग प्रातः काल से लेकर सुबह 09 बजकर 06 मिनट तक रहने वाला है। इसके बाद से शुक्ल योग प्रारंभ हो जाएगा, जो कि पूरे दिन होगा
आश्विन अमावस्या के दिन पितरों के लिए श्राद्ध, पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मण भोजन आदि करना श्रेष्ठ होता है। इससे पितृ दोष दूर हो जाते हैं। साथ ही परिवार में सुख और शांति रहती है। इस दिन स्नान और दान करने से पुण्य प्राप्त होता है। आश्विन अमावस्या के दिन गरीबों को दान देने, पेड़-पौधे लगाने से पुण्य मिलता है। पितृ भी प्रसन्न हो जाते हैं।
सर्व पितृ अमावस्या के दिन उन पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है जिनके निधन की तिथि आपको मालूम नहीं है। इसके अलावा आप अपने परिवार के पितरों का श्राद्ध भी कर सकते हैं। जिनके बारे में आप नहीं जानते हों। सर्व पितृ अमावस्या के दिन ज्ञात अज्ञात सभी प्रकार के पितरों का श्राद्ध किया जा सकता है।
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