Bhakoot Dosh धर्म डेस्क, इंदौर। इन दिनों शादी का सरजन चल रहा है। भारतीय हिंदू परंपरा में पहले कुंडली मिलान किया जाता है, उसके बाद ही शादी का मुहूर्त निकाला जाता है। कुंडली न मिलने पर शादी नहीं की जाती।
कुंडली मिलान से वर-वधू के मैत्री, भाग्य, प्रकृति और स्वभाव का पता चलता है। कुंडली में कई दोष भी होते हैं, जिनके पता चलने पर वर-वधु को शादी के बंधन में नहीं बांधा जाता। माना जाता है कि दोष होने के बाद भी शादी करने पर वर-वधु को भविष्य में दांपत्य जीवन में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही आर्थिक, मानसिक और शारीरिक समस्या भी खड़ी हो सकती है।
वर-वधु की कुंडली में एक ऐसा ही भकूट दोष होता है। आपको इस दोष और इसके निराकरण के बारे में बताते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शादी के पूर्व कुंडली मिलान के दौरान वर-वधु की कुंडली में चंद्रमा 6-8, 9-5 अथवा 12-2 के भाव में स्थित है, तो इसे भकूट दोष कहा जाता है, यह तीन प्रकार से होता है।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सामान्य उपाय के माध्यम से भकूट दोष को दूर किया जा सकता है। इसके लिए आप स्थानीय पंडित अथवा ज्योतिष से संपर्क कर सकते हैं। शादी के बाद भी वर-वधु को कई नियमों का पालन भी करना पड़ता है।
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