
धर्म डेस्क। आचार्य चाणक्य की नीतियां (Chanakya Niti) आज के दौर में भी उतनी ही प्रासंगिक हैं जितनी सदियों पहले थीं। चाणक्य नीति के अनुसार, मनुष्य की कुछ आदतें उसे सफलता के शिखर से सीधे पतन की ओर ले जा सकती हैं। यदि आप भी जीवन में सम्मान और समृद्धि चाहते हैं, तो आचार्य चाणक्य द्वारा बताई गई इन तीन आदतों को तुरंत बदल देना चाहिए।
चाणक्य कहते हैं - "यो ध्रुवाणि परित्यज्य अध्रुवं परिषेवते..." जो व्यक्ति अपने हाथ में मौजूद निश्चित वस्तु को छोड़कर, किसी बड़ी अनिश्चित वस्तु के पीछे भागता है, उसका सब कुछ नष्ट हो जाता है। अक्सर लोग अधिक के लालच में वह भी खो देते हैं जो उनके पास सुरक्षित होता है। इसलिए, वर्तमान और स्थिर अवसरों की उपेक्षा कभी न करें।

आचार्य चाणक्य का प्रसिद्ध श्लोक है - "नात्यन्तं सरलैर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम्..." उनका मानना है कि व्यक्ति को स्वभाव से बहुत अधिक सीधा नहीं होना चाहिए। जिस तरह जंगल में सबसे पहले सीधे पेड़ों को ही काटा जाता है और टेढ़े-मेढ़े पेड़ बच जाते हैं, ठीक उसी तरह समाज में अत्यधिक सीधे व्यक्ति का चालाक लोग सबसे पहले फायदा उठाते हैं। सच्चाई और सरलता जरूरी है, लेकिन व्यावहारिक बुद्धि (Smartness) का होना भी अनिवार्य है।
भविष्य की आपदाओं के लिए धन संचय करना अत्यंत आवश्यक है। चाणक्य चेतावनी देते हैं कि यह कभी न सोचें कि धनवान को विपत्ति नहीं घेर सकती। जब भाग्य साथ छोड़ता है, तो संचित किया हुआ धन भी तेजी से खत्म होने लगता है। यदि आपको फिजूलखर्ची की आदत है, तो इसे तुरंत सुधारें, क्योंकि बचत ही संकट का सच्चा साथी है।