Chandra Grahan 2025: कल लगेगा साल का अंतिम चंद्रगहण, जानें श्राद्ध पर क्यों नहीं होता सूतक का असर
इस साल का अंतिम और सबसे लंबा खग्रास चंद्रग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा की रात को लगने जा रहा है। खास बात यह है कि इसी दिन से पितृपक्ष के श्राद्ध कर्म भी शुरू होंगे। विद्वानों के अनुसार चंद्रग्रहण का सूतक काल पितृपक्ष और श्राद्ध कर्म पर लागू नहीं होता, इसलिए श्रद्धालु बिना किसी संकोच के अपने पितरों का तर्पण कर सकते हैं।
Publish Date: Sat, 06 Sep 2025 09:55:29 AM (IST)
Updated Date: Sat, 06 Sep 2025 10:00:33 AM (IST)
HighLights
- विद्वानों के अनुसार चंद्रग्रहण का सूतक काल।
- पूजा-धार्मिक नियम, कब लगेगा चंद्रग्रहण।
- गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानी।
धर्म डेस्क। इस साल का अंतिम और सबसे लंबा खग्रास चंद्रग्रहण भाद्रपद पूर्णिमा की रात को लगने जा रहा है। खास बात यह है कि इसी दिन से पितृपक्ष के श्राद्ध कर्म भी शुरू होंगे।
विद्वानों के अनुसार चंद्रग्रहण का सूतक काल पितृपक्ष और श्राद्ध कर्म पर लागू नहीं होता, इसलिए श्रद्धालु बिना किसी संकोच के अपने पितरों का तर्पण कर सकते हैं।
कब लगेगा चंद्रग्रहण?
सूतक की शुरुआत - 7 सितंबर, दोपहर 12:57 बजे
ग्रहण स्पर्श - रात 9:57 बजे
ग्रहण का मध्यकाल - रात 11:49 बजे
ग्रहण मोक्ष - 8 सितंबर, रात 1:27 बजे
श्राद्ध पर क्यों नहीं होता असर?
काशी के विद्वानों का कहना है कि चंद्रग्रहण का सूतक पितृ पक्ष के कर्मों पर कोई प्रभाव नहीं डालता। प्रो. विनय कुमार पांडेय (पूर्व अध्यक्ष, बीएचयू ज्योतिष विभाग) बताते हैं कि न तो ग्रहण और न ही सूतक का उल्लेख श्राद्ध कर्म में निषेध के रूप में किया गया है।
प्रो. सुभाष पांडेय का कहना है कि सूतक काल का असर पूजा-अर्चना पर जरूर होता है, लेकिन श्राद्ध कर्म बिना किसी बाधा के किया जा सकता है।
भोजन और सूतक नियम
- ग्रहण काल में भोजन बनाना और खाना वर्जित माना गया है।
- सूतक से पहले भोजन तैयार कर लें या ग्रहण मोक्ष के बाद ही भोजन करें।
- दूध और घी से बने पदार्थों में तुलसी दल या कुश डाल देने से उन पर ग्रहण का असर नहीं पड़ता।
- बालक, वृद्ध और बीमार व्यक्तियों के लिए यह नियम लागू नहीं होता।
पूजा और धार्मिक नियम
- सूतक शुरू होने से पहले मंदिर या घर के पूजा स्थल के पट बंद कर देने चाहिए।
- ग्रहण काल में देव प्रतिमाओं का स्पर्श नहीं करना चाहिए।
- इस दौरान भगवान के नाम का जाप, संकीर्तन और यज्ञ करना शुभ माना जाता है।
- मोक्ष के बाद स्नान कर मंदिर और पूजा स्थल की शुद्धि करें, फिर पूजन और दान-पुण्य करें।
गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष सावधानी
ग्रहण काल में गर्भवती महिलाओं को शयन नहीं करना चाहिए। उन्हें जागृत रहकर भगवान के मंत्रों का जाप करना चाहिए। यदि खड़े रहना संभव न हो, तो बैठकर मंत्र जाप कर सकती हैं।