
धर्म डेस्क। हिंदू धर्म में 'उपवास' की परंपरा केवल धार्मिक आस्था का विषय नहीं, बल्कि एक प्राचीन जीवन-दर्शन है। प्राचीन पुराणों और आधुनिक विज्ञान के विश्लेषण से यह स्पष्ट होता है कि व्रत केवल भोजन के त्याग तक सीमित नहीं है, बल्कि यह शरीर, मन और आत्मा के कायाकल्प (Rejuvenation) की एक गहरी वैज्ञानिक प्रक्रिया है। यहां उपवास के धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व का विस्तृत विवरण दिया गया है...
'उपवास' शब्द की उत्पत्ति दो शब्दों से हुई है 'उप' (निकट) और 'वास' (रहना)। इसका वास्तविक अर्थ है अपनी इंद्रियों को बाहरी दुनिया से हटाकर ईश्वर के समीप ले जाना। अग्नि पुराण के अनुसार, उपवास का असली उद्देश्य दसों इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर आत्मा को सात्विक गुणों से संवारना है।
उपवास की प्रक्रिया को विज्ञान आज 'डिटॉक्सिफिकेशन' कहता है। पद्म पुराण में एक सुंदर उदाहरण मिलता है जिस तरह अग्नि में तपाने पर स्वर्ण की अशुद्धियां दूर हो जाती हैं, वैसे ही उपवास से शरीर के विषैले तत्व नष्ट होते हैं। आयुर्वेद के अनुसार, उपवास पाचन तंत्र को आराम देकर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को कई गुना बढ़ा देता है।
स्कंद पुराण में 'एकादशी व्रत' का विशेष उल्लेख है। जब हम अपनी मूलभूत आवश्यकता यानी भोजन पर नियंत्रण पा लेते हैं, तो हमारी इच्छाशक्ति (Will Power) मजबूत होती है। यह अनुशासन मन की चंचलता को शांत करता है और जीवन की बड़ी चुनौतियों से लड़ने के लिए मानसिक शक्ति प्रदान करता है।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, विशेष दिनों पर उपवास करने से ग्रहों की स्थिति सुधरती है। शिव पुराण और भविष्य पुराण के अनुसार, सोमवार का व्रत मानसिक शांति और रविवार का व्रत शारीरिक तेज प्रदान करता है। इसी प्रकार पूर्णिमा या शिवरात्रि जैसी तिथियों पर किया गया व्रत क्रोध, लोभ और मोह जैसे मानसिक विकारों को जड़ से खत्म करने में सहायक होता है।
उपवास संयम और आत्म-अनुशासन का वह मार्ग है जो मनुष्य को शारीरिक रूप से स्वस्थ, मानसिक रूप से शांत और आध्यात्मिक रूप से उन्नत बनाता है। यह श्रद्धा और विज्ञान का वह मेल है जो भक्त को 'स्व' से 'परमात्मा' की ओर ले जाता है।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। नईदुनिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। नईदुनिया अंधविश्वास के खिलाफ है।