धर्म डेस्क। गणेश चतुर्थी का त्योहार देशभर में बड़े ही धूमधाम से मनाया जा रहा है। 10 दिनों तक चलने वाले गणेशोत्सव में हर कोई गणपति बप्पा की भक्ति में रमा नजर आता है। घर-घर में मूर्तियों की स्थापना की जाती है। मंडपों में सजावट की जाती है और बप्पा को रोजाना अलग-अलग व्यंजन और मिठाइयों का भोग लगाया जाता है। यही वजह है कि गणेश चतुर्थी न केवल आस्था का, बल्कि उमंग और उत्सव का भी प्रतीक बन चुका है।
इस खास मौके पर हम आपको मध्य प्रदेश में गणेश जी से जुड़े 10 मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी मान्यता और विशेषता सुनकर आप हैरान रह जाएंगे। भारत में वैसे तो गणेश जी के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, लेकिन हर मंदिर की अपनी अलग पहचान और कथा होती है। ये मंदिर भी भक्तों के बीच अपनी अद्भुत मान्यता के कारण जाने जाते हैं। कहा जाता है कि यहां आकर सच्चे मन से की गई प्रार्थना जरूर पूरी होती है। आइए जानते हैं इन मंदिरों की खासियत के बारे में।
देश के इस सबसे साफ-सुथरे शहर इंदौर के बीच में मौजूद खजराना गणेश मंदिर मध्य प्रदेश के सबसे प्राचीन मंदिरों से एक माना जाता है। खजराना गणेश मंदिर के बारे में कहा जाता है कि जो सच्चे मन से दर्शन करता है और मंडोर की दीवार पर धागा बांधता है, उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं। इसलिए यहां हर समय भक्तों की भीड़ मौजूद रहती हैं। आपको बता दें कि इस मंदिर का निर्माण होलकर वंश द्वारा किया गया था। इंदौर में आप बड़ा गणपति मंदिर का भी दर्शन कर सकते हैं।
मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में मौजूद सिद्धेश्वर गणेश मंदिर करीब 250 साल पुराना मंदिर माना जाता है। यह शहर का सबसे पवित्र और चर्चित मंदिर भी माना जाता है, इसलिए यहां हर समय भक्तों की भीड़ मौजूद रहती हैं।
सिद्धेश्वर गणेश मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां जो भी सच्चे मन से पूजा-पाठ और हवन करता है, उसकी सभी मुरादें पूरी हो जाती हैं। गणेश उत्सव के मौके पर यहां अधिक संख्या में भक्त पहुंचते हैं। इस खास मौके पर मंदिर को शानदार तरीके से सजाया जाता है।
मध्य प्रदेश का ग्वालियर जिस तरह ऐतिहासिक जगहों के लिए प्रसिद्ध है, ठीक उसी तरह कई पवित्र स्थलों के लिए भी प्रसिद्ध माना जाता है। उन्हीं से एक है मोटे गणेश जी का मंदिर, जिसे मोटे गणेश मंदिर भी बोला जाता है।
मोटे गणेश मंदिर के बारे में कहा जाता है कि यह करीब 500 साल पुराना मंदिर है। कहा जाता है कि इस पवित्र मंदिर का दर्शन करने महाराष्ट्र, दिल्ली, उत्तर प्रदेश से लेकर गुजरात के लोग भी पहुंचते हैं। गणेश उत्सव के दौरान इस मंदिर के आसपास खूब रौनक देखने को मिलती है।
मध्य प्रदेश के जबलपुर में स्थित कल्कि गणेश मंदिर राज्य के सबसे चमत्कारी और पवित्र स्थलों से एक माना जाता है। कहा जाता है कि यहां भगवान गणेश कल्कि के रूप में विराजमान है।
कल्कि गणेश मंदिर के बारे में कहा जाता है यह एक मंदिर है, जहां भगवान गणेश चूहा की सवारी नहीं, बल्कि घोड़े पर सवार है। इस चमत्कारी का दर्शन करने हर डॉन हजारों भक्त पहुंचते हैं। गणेश उत्सव के मौके पर इस मंदिर को फूलों से सजा दिया जाता है।
मध्यप्रदेश की तीर्थ नगरी उज्जैन में चिंतामन गणेश जी का प्राचीन मंदिर है, जो महाकालेश्वर मंदिर से करीब 6 किलोमीटर दूर ग्राम जवास्या में स्थित है। गर्भगृह में प्रवेश करते ही गौरीसुत गणेश की तीन प्रतिमाएं दिखाई देती हैं। यहां पार्वतीनंदन तीन रूपों में विराजमान हैं। पहला चिंतामण, दूसरा इच्छामन और तीसरा सिद्धिविनायक। उज्जैन में बड़ा गणपति मंदिर भी प्रसिद्ध है।
ग्वालियर के बेहट में स्थित शिवालय और गणेश मंदिर बहुत प्रसिद्ध हैं। मान्यता है कि संगीत सम्राट तानसेन ने यहीं बैठकर "श्रीगणेश स्तोत्र" की रचना की और गणेशजी से आवाज का वरदान प्राप्त किया।
भोपाल के पास सीहोर में स्थित यह लगभग 2000 वर्ष पुराना मंदिर है; राजा विक्रमादित्य द्वारा स्थापित माना जाता है; मंदिर का निर्माण श्रीयंत्र के कोनों पर हुआ था। मान्यता है कि इस मंदिर में भगवान गणेश की मूर्ति आधी जमीन में बनी है; मनोकामना पूर्ण होने पर भक्त उल्टा स्वास्तिक बनाते हैं और पूरण होने पर सीधे स्वास्तिक।
शिवपुरी के पोहरी किले में बना प्राचीन गणेश मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है। 1737 में जागीरदारी बाला बाई सीतोले द्वारा निर्मित यह मंदिर प्राचीन माना जाता है। यहां कि मान्यता है कि भक्त नारियल अर्पित कर मनोकामना मांगते हैं; कुंवारी कन्याओं की विशेष आस्था यहां है।
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में महागणपति नाम से गणेश मंदिर है। कहते हैं कि देश में इस नाम से मात्र दो ही मंदिर है। एक पुणे में और दूसरा भोपाल में। इस मंदिर को लगभग 50 वर्ष पहले पंडित ब्रजेश तिवारी ने बनवाया था। इस मंदिर की विशेषता है कि यहां गणेश जन्मोत्सव (विशेष रूप से गणेश चतुर्थी) पर यहां भव्य कार्यक्रम होते हैं और भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
कहते हैं कि इंदौर में जो मंदिर है उसकी मूर्ति विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति मानी जाती है। इस मूर्ति को चोला चढ़ाने के लिए सवा मन घी और सिंदूर का प्रयोग होता है। श्रृंगार करने में पूरे आठ दिन का समय लगता है।