
धर्म डेस्क। हिंदू धर्म के प्रमुख ग्रंथों में से एक गरुड़ पुराण न केवल मृत्यु के बाद की स्थितियों का वर्णन करता है, बल्कि जीवन को सही दिशा में जीने का मार्ग भी दिखाता है। भगवान विष्णु ने इसमें उन मानवीय गुणों और कर्मों की चर्चा की है, जो आत्मा को जन्म-मरण के चक्र से उबारकर सीधे स्वर्ग या देवलोक की ओर ले जाते हैं।
गरुड़ पुराण के अनुसार, स्वर्ग की प्राप्ति के लिए केवल भव्य अनुष्ठान ही काफी नहीं हैं, बल्कि व्यक्ति का आचरण और नैतिकता सबसे महत्वपूर्ण है। आइए जानते हैं वे 7 पुण्य कर्म, जिन्हें 'स्वर्ग की चाबी' माना गया है:
वाणी में मिठास और सत्य का साथ देने वाला व्यक्ति ईश्वर के सबसे करीब होता है। जो मनुष्य कभी छल-कपट का सहारा नहीं लेता और अपनी बातों से किसी का अहित नहीं करता, उसके लिए स्वर्ग के द्वार सदैव खुले रहते हैं।
शास्त्रों में 'अन्नदान' को महादान की संज्ञा दी गई है। किसी भूखे को तृप्त करना और प्यासे को जल पिलाना सबसे बड़ा मानवीय धर्म है। यह पुण्य मृत्यु के पश्चात आत्मा की कठिन यात्रा को सुगम बनाता है।
ईश्वर हर जीव में वास करते हैं। जो मनुष्य पशु-पक्षियों और बेसहारा प्राणियों के प्रति दयाभाव रखता है और उन्हें कष्ट नहीं पहुंचाता, उस पर श्रीहरि की विशेष कृपा बनी रहती है।

जीवित रहते हुए माता-पिता की सेवा और उनके उपरांत श्रद्धापूर्वक श्राद्ध-तर्पण करने वाले व्यक्ति को पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। पितरों के आशीर्वाद से ही मनुष्य को उच्च लोकों में स्थान मिलता है।
बिना किसी फल की इच्छा या दिखावे के दूसरों की सहायता करना 'सात्विक कर्म' कहलाता है। समाज कल्याण के लिए किया गया त्याग आत्मा को पवित्र कर देता है।
क्रोध, लोभ, मोह और वासना जैसे विकारों पर विजय पाने वाला व्यक्ति ही शुद्ध आत्मा का स्वामी होता है। आत्म-नियंत्रण स्वर्ग प्राप्ति का सबसे सरल और श्रेष्ठ मार्ग है।
पवित्र ग्रंथों का अध्ययन और उनमें निहित शिक्षाओं को जीवन में उतारना मनुष्य को नकारात्मकता से बचाता है। ज्ञान के प्रकाश से ही आत्मा का अंधकार दूर होता है और वह देवलोक की ओर प्रस्थान करती है।
यह भी पढ़ें- गरुड़ पुराण की चेतावनी... पत्नी के साथ दुर्व्यवहार करने वाले पुरुषों को यमलोक में मिलती है ये सजा