मां सती के 51 शक्ति पीठ वो पवित्र और अलौकिक स्थान हैं। जहां उनके शरीर के अंग गिरे थे। हिंदु धर्म में मां सती को शक्ति की देवी माना गया है। मां सती का रूप ही पार्वती हैं जिनका विवाह भोलेनाथ के साथ हुआ था। इन्हें गौरी के नाम से भी जानते हैं। मां दुर्गा के जिन नौ रूपों की आराधना नवरात्रि के दौरान की जाती है वो सभी मां सती का ही स्वरूप हैं।
हिंदू पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, सतयुग के समय राजा दक्ष ने एक विशाल यज्ञ का आयोजन किया। दक्ष ब्रह्माजी के मानस पुत्र थे। जहां दक्ष ने यक्ष करवाया था वो स्थान में हरिद्वार के नजदीक है। राजा दक्ष के यज्ञ को करवाने के लिए देवगुरु बृहस्पति को बुलाया था।
दक्ष ने सभी देवताओं और धरती के राजाओं को आमंत्रित किया लेकिन भगवान शिव को उन्होंने अहंकारवश निमंत्रण नहीं दिया। दक्ष की 27 कन्याएं थीं। जिनमें से देवी सती एक थीं जिनका विवाह शंकरजी के साथ हुआ था। दक्ष के द्वारा शिव को आमंत्रण न देने पर भी देवी सती अपने पिता द्वारा करवाए गए यज्ञ में शामिल हुईं।
वहां पर राजा दक्ष ने भवगान शिव का अनादर किया, उन्हें भला-बुरा कहा तब देवी सती इन बातों को नहीं सुन पाईं और दुःखी होकर उन्होंने यज्ञ की वेदी में अपने शरीर को दाह कर दिया।
भगवान शिव को जब यह बात पता चली तो उन्होंने दक्ष के यज्ञ को नष्ट कर दिया और मां सती के शरीर को लेकर ब्रह्मांड में इधर-उधर भटकने लगे। समय बीतता गया। तब भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से मां सती के मृत देह के 51 टुकड़े किए। अंगों के यह टुकडज़े जहां-जहां धरती पर गिए वहां शक्तिपीठ बन गए। इन 51 शक्तिपीठों में से 18 महाशक्तिपीठ हैं।
ये हैं 18 महाशक्तिपीठ
1. शंकरी देवी, त्रिंकोमाली श्रीलंका
2. कामाक्षी देवी, कांची, तमिलनाडू
3. सुवर्णकला देवी, प्रद्युम्न, पश्चिमबंगाल
4. चामुंडेश्वरी देवी, मैसूर, कर्नाटक
5. जोगुलअंबा देवी, आलमपुर, आंध्रप्रदेश
6. भराअंबा देवी, श्रीशैलम, आंध्रप्रदेश
7. महालक्ष्मी देवी, कोल्हापुर, महाराष्ट्र
8. इकवीराक्षी देवी, नांदेड़, महाराष्ट्र
9. हरसिद्धी माता मंदिर, उज्जैन, मध्यप्रदेश
10. पुरुहुतिका देवी, पीथमपुरम, आंध्रप्रदेश
11. पूरनगिरि मंदिर, टनकपुर, उत्तराखंड
12. मनीअंबा देवी, आंध्रप्रदेश
13. कामाख्या देवी, गुवाहाटी, असम
14.मधुवेश्वरी देवी, इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश
15. वैष्णोदेवी, कांगड़ा, हिमाचलप्रदेश
16. सर्वमंगला देवी, गया, बिहार
17. विशालाक्षी देवी, वाराणसी, उत्तर प्रदेश
18. सरस्वती देवी, कश्मीर