धर्म डेस्क। हिंदू धर्म में पूजा-पाठ को देवी-देवताओं के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट करने का एक माध्यम माना गया है। ऐसा माना जाता है कि जिस घर में रोजाना विधिवत रूप से पूजा-पाठ किया जाता है, वहां हमेशा देवी-देवताओं की कृपा बनी रहती है, जिससे घर में खुशहाली आती है। ऐसे में अगर आप पूजा-पाठ के दौरान कुछ वास्तु नियमों की अनदेखी करते हैं, तो इससे आप पूर्ण फल की प्राप्ति से वंचित रह सकते हैं।
वास्तु शास्त्र में इस बात का भी खास महत्व माना गया है कि आपका मंदिर किस दिशा में है। वास्तु में मंदिर के लिए उत्तर-पूर्व या फिर पूर्व दिशा को सही माना गया है। इसी के साथ इस बात का भी विशेष रूप से ध्यान रखें कि मंदिर में भगवान की मूर्ति का मुख कभी भी दक्षिण दिशा की ओर नहीं होना चाहिए।
कई लोग खड़े होकर पूजा-अर्चना करते हैं। लेकिन वास्तु शास्त्र में माना गया है कि यदि आप शांति वाले स्थान पर बैठकर पूजा करते हैं, तो इसका अधिक फल मिलता है। साथ ही इस बात का ध्यान रखें कि पूजा करते समय आपका मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
पूजा के दौरान दीपक भी जरूरी रूप से जलाया जाता है। ऐसे में रोजाना आपको पूजा के दौरान घी या सरसों के तेल का दीपक जरूर जलाना चाहिए। इससे सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है। यदि आपका दीपक धातु से बना है, तो रोजाना इसकी अच्छे से साफ-सफाई करें।
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मंदिर घर का एक पवित्र स्थान होता है। ऐसे में मंदिर की साफ-सफाई का पूरा ध्यान रखना चाहिए। मंदिर के पास कूड़ेदान, जूते-चप्पल आदि रखने से बचें। इसी के साथ मंदिर को कभी भी शौचालय के पास या फिर सीढ़ियों के नीचे नहीं बनवाना चाहिए। वास्तु की दृष्टि से ऐसा करना बिल्कुल भी सही नहीं माना गया। हमेशा स्नान करने के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहनकर ही पूजा शुरू करनी चाहिए।
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