धर्म डेस्क: भारत में अनेक देवी मंदिर अपनी विशिष्ट मान्यताओं और परंपराओं के लिए प्रसिद्ध हैं। इन्हीं में से एक मंदिर है करवा माता मंदिर, जो राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा गांव में स्थित है। यह मंदिर भारत का एकमात्र चौथ माता मंदिर माना जाता है, जहां करवा चौथ के दिन देशभर से महिलाएं पूजा-अर्चना के लिए पहुंचती हैं।
यह पवित्र मंदिर राजस्थान के सवाई माधोपुर जिले के बरवाड़ा गांव में स्थित है। मंदिर अरावली पर्वत की गोद में लगभग एक हजार फीट की ऊंचाई पर बना हुआ है। इस ऊंचाई से आसपास का प्राकृतिक सौंदर्य मन मोह लेता है। आस्था के साथ-साथ यह स्थान एक आकर्षक पर्यटन स्थल के रूप में भी जाना जाता है।
करवा माता मंदिर तक पहुंचने के लिए भक्तों को करीब 700 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं। मंदिर परिसर में करवा चौथ माता के साथ भगवान गणेश और भैरव देव की मूर्तियां भी स्थापित हैं। हर साल यहां करवा चौथ, भाद्रपद चौथ, माघ चौथ और लक्खी मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें लाखों श्रद्धालु भाग लेते हैं। इसके अलावा नवरात्रों के दौरान भी विशेष धार्मिक आयोजन होते हैं, जब मंदिर की भव्यता देखते ही बनती है।
इतिहासकारों के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण सन् 1451 में महाराजा भीम सिंह चौहान ने करवाया था। महाराजा भीम सिंह माता के परम भक्त थे और उन्होंने माता की कृपा प्राप्त करने के लिए यह भव्य मंदिर बनवाया। बाद में सन् 1452 में मंदिर का जीर्णोद्धार किया गया। इसके अतिरिक्त सन् 1463 में मंदिर मार्ग पर बिजल की छतरी और तालाब का निर्माण भी कराया गया।
मंदिर में राजपूताना स्थापत्य शैली की झलक देखने को मिलती है। पूरा मंदिर सफेद संगमरमर से निर्मित है, जो इसे अत्यंत आकर्षक बनाता है।
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, करवा माता मंदिर में सच्चे मन से मांगी गई हर मनोकामना पूरी होती है। विशेष रूप से सुहागिन महिलाएं करवा चौथ के दिन यहां पूजा करने आती हैं। ऐसा माना जाता है कि करवा माता के दर्शन और व्रत से महिलाओं को अखंड सौभाग्य और समृद्ध दांपत्य जीवन का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
करवा चौथ के दिन मंदिर में हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं। माता की आरती और दीप प्रज्वलन के समय मंदिर का वातावरण भक्ति और आस्था से भर जाता है।
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