धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में दीवाली का पर्व विशेष महत्व रखता है। यह कार्तिक अमावस्या को मनाया जाता है और इस वर्ष 20 अक्टूबर 2025 को दीपोत्सव मनाया जाएगा। दीवाली से पहले घरों की साफ-सफाई की परंपरा सदियों से चली आ रही है। वास्तु शास्त्र के अनुसार (Vastu Tips for Diwali), इस सफाई का एक विशेष कारण है - अशुभ वस्तुओं को घर से बाहर करना। ऐसा करने से मां लक्ष्मी का आशीर्वाद प्राप्त होता है और परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है।
- सबसे पहले घर से टूटा हुआ शीशा हटा दें। टूटा शीशा नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करता है और जीवन में बाधाओं का कारण बनता है। इसे घर में रखना अशुभ माना जाता है।
- इसी तरह फटे-पुराने जूते-चप्पल भी दुर्भाग्य का प्रतीक माने गए हैं। घर में इन्हें रखने से मां लक्ष्मी का प्रवेश बाधित होता है। दीवाली से पहले इन्हें घर से बाहर करना आवश्यक है।
- वास्तु शास्त्र में बंद घड़ी को भी अशुभ बताया गया है। यह रुकावट और ठहराव का प्रतीक है। घर में बंद घड़ी रखने से करियर और आर्थिक प्रगति प्रभावित होती है। इसलिए दीवाली की सफाई के दौरान बंद घड़ी या तो बाहर करें या तुरंत ठीक करवाएं।
- मंदिर में रखी टूटी हुई या खंडित प्रतिमा भी शुभ फल नहीं देती। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, खंडित प्रतिमा की पूजा से पूजा का फल प्राप्त नहीं होता और घर में दरिद्रता बढ़ती है। इसलिए ऐसी प्रतिमाओं को किसी पवित्र नदी में विसर्जित करना चाहिए।
इस प्रकार, दीवाली से पहले घर की सफाई सिर्फ धूल-मिट्टी हटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह अशुभ ऊर्जा को दूर कर सकारात्मकता और लक्ष्मी आगमन का मार्ग प्रशस्त करने का एक आध्यात्मिक उपाय है।
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