इस मंत्र में छिपा है रहस्य
वैसे भगवान विष्णु का स्वरूप सात्विक यानी शांत, कोमल और आनंदमयी बताया गया है।
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Publish Date: Mon, 29 Dec 2014 11:27:32 AM (IST)
Updated Date: Thu, 08 Jan 2015 12:57:20 PM (IST)

धर्मशास्त्रों के मुताबिक भगवान विष्णु जगत का पालन करने वाले देवता है। वैसे भगवान विष्णु का स्वरूप सात्विक यानी शांत, कोमल और आनंदमयी बताया गया है।
वहीं उनके स्वरूप का दूसरा पहलू यह भी प्रकट होता है कि भगवान विष्णु भयानक और कालस्वरूप शेषनाग पर आनंद मुद्रा में शयन करते हैं।
भगवान विष्णु के इसी स्वरूप की महिमा में शास्त्रों में लिखा है। 'शान्ताकारं भुजगशयनं' यानी शांत स्वरूप और भुजंग यानी शेषनाग पर शयन करने वाले देवता भगवान विष्णु।
इस मंत्र का मतलब है कि जिंदगी का हर पल कर्तव्य और जिम्मेदारियों का अहसास कराता है। इनमें पारिवारिक, सामाजिक और आर्थिक दायित्व अहम होते हैं किंतु इन दायित्वों को पूरा करने के साथ ही अनेक परेशानियों का सिलसिला भी चलता है।
भगवान विष्णु का शांत स्वरूप यही कहता है कि ऐसे बुरे वक्त में संयम, धीरज के साथ मजबूत दिल और ठंडा दिमाग रखकर जिंदगी की तमाम मुश्किलों पर काबू पाया जा सकता है। तभी विपरीत समय भी आपके अनुकूल हो जाएगा।
ऐसा व्यक्ति सही मायनों में पुरूषार्थी कहलाएगा। इस तरह विपरीत हालातों में भी शांत, स्थिर, निर्भय व निश्चित मन और मस्तिष्क के साथ अपने धर्म का पालन यानी जिम्मेदारियों को पूरा करना ही विष्णु के भुजंग या शेषनाग पर शयन का प्रतीक है।