धर्म डेस्क। पूरे देशभर में शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2025) मनाए जा रहे हैं। नौ दिनों का यह पर्व मां दुर्गा और उनके नौ स्वरूपों की उपासना को समर्पित होता है। भक्तगण पूरे श्रद्धाभाव और भक्ति से माता रानी की आराधना करते हैं, ताकि उनका आशीर्वाद जीवन में सुख, शांति और समृद्धि लेकर आए। धार्मिक मान्यता है कि नवरात्र के दौरान देवी दुर्गा की पूजा करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और साधक को शक्ति, साहस व सफलता प्राप्त होती है।
‘नव’ शब्द नई या विशेष का प्रतीक है, जबकि ‘रात्रि’ को सिद्धि और साधना का समय माना गया है। प्राचीन ऋषि-मुनियों ने रात्रि के समय को दिन से अधिक महत्वपूर्ण माना है, क्योंकि रात्रि की नीरवता में साधना, ध्यान और उपासना का फल अधिक मिलता है। यही कारण है कि भारत के कई बड़े पर्व जैसे महाशिवरात्रि, दीपावली की रात्रि पूजन, होलिका दहन और नवरात्र रात्रि में मनाए जाते हैं।
बहुत से लोग यह मानते हैं कि नवरात्र साल में केवल दो बार, चैत्र और शारदीय (आश्विन मास) में आते हैं। जबकि शास्त्रों में वर्णित है कि नवरात्र वर्ष में चार बार (Navratri four times a year) मनाए जाते हैं।
1. चैत्र नवरात्र – वसंत ऋतु में मनाए जाते हैं और इन्हें हिंदू नववर्ष की शुरुआत माना जाता है।
2. शारदीय नवरात्र – आश्विन मास में पड़ते हैं और इन्हें सबसे व्यापक रूप से धूमधाम से मनाया जाता है।
3. आषाढ़ गुप्त नवरात्र – तांत्रिक साधनाओं और विशेष उपासना के लिए प्रसिद्ध हैं।
4. माघ गुप्त नवरात्र – इन्हें भी तंत्र साधना और गोपनीय पूजा के लिए शुभ माना जाता है।
इन चारों में से चैत्र और शारदीय नवरात्र का उत्सव सार्वजनिक रूप से मंदिरों, घरों और समाज में बड़े हर्षोल्लास से होता है। मंदिरों को विशेष रूप से सजाया जाता है, भजन-कीर्तन होते हैं और जगह-जगह भक्ति-भावनाओं की अनूठी छटा बिखरती है। वहीं, आषाढ़ और माघ के गुप्त नवरात्र साधना और तपस्या का काल होते हैं। माना जाता है कि इस समय मां दुर्गा की गोपनीय साधना करने से साधक की हर मनोकामना पूर्ण होती है।
नवरात्र के दौरान भक्त उपवास रखते हैं, मां की प्रतिमा या कलश की स्थापना करते हैं और प्रतिदिन देवी के अलग-अलग स्वरूप की पूजा करते हैं। इस साधना से जीवन में संतुलन, शक्ति और सकारात्मक ऊर्जा आती है। देवी की कृपा से परिवार में सुख-समृद्धि बनी रहती है और कठिनाइयों से उबरने की शक्ति मिलती है।
नवरात्र में दुर्गा मां की आराधना के लिए मंत्र जाप का विशेष महत्व बताया गया है। भक्त इन मंत्रों का जप करके देवी की कृपा प्राप्त कर सकते हैं-
1. सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यंबके गौरी नारायणि नमोऽस्तुते।।
2. ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।।
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नवरात्र केवल त्योहार नहीं है, बल्कि यह साधना, उपासना और आत्मशक्ति को जागृत करने का काल है। साल में चार बार आने वाले ये नौ दिन जीवन को सकारात्मक दिशा देने का अवसर प्रदान करते हैं। चैत्र और शारदीय नवरात्र जहां भक्ति और उत्सव के प्रतीक हैं, वहीं गुप्त नवरात्र साधना और तांत्रिक प्रयोगों के लिए विशेष माने जाते हैं। मां दुर्गा की आराधना से साधक न केवल सांसारिक सुख प्राप्त करता है, बल्कि आध्यात्मिक शांति और दिव्य आशीर्वाद भी हासिल करता है।