धर्म डेस्क। हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शारदीय नवरात्र (Shardiya Navratri 2025) का शुभारंभ होता है। यह नौ दिनों का पर्व मां दुर्गा की उपासना, व्रत और साधना के लिए विशेष माना जाता है। इस दौरान भक्त विधि-विधान से मां दुर्गा की पूजा करते हैं और व्रत रखते हैं।
शारदीय नवरात्र 2025 की शुरुआत प्रतिपदा तिथि से होगी। पहले दिन कलश स्थापना की जाती है, साथ ही अखंड ज्योत प्रज्वलित की जाती है। मान्यता है कि अखंड ज्योत और पूजा-पाठ से साधक के जीवन में सुख-समृद्धि आती है और देवी मां की कृपा प्राप्त होती है।
नवरात्रि के पहले दिन जलाई गई अखंड ज्योत नवमी तिथि तक जलती रहनी चाहिए। कन्या पूजन के बाद नवरात्र का समापन होता है, लेकिन ज्योत को स्वयं ही बुझने देना चाहिए। इसे जबरन बुझाना अशुभ माना जाता है। यदि ज्योत मिट्टी के दीपक में जलाई गई है तो नवमी या दशहरे के दिन दीपक और पूजन सामग्री को किसी पवित्र नदी में विसर्जित करना चाहिए।
नवरात्रि पूजन और दीपक जलाते समय विशेष मंत्रों का उच्चारण किया जाता है।
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते॥
(अर्थ: मां जगदंबा, जो जयंती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी, दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री और स्वधा नामों से जानी जाती हैं, उन्हें नमस्कार है।)
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपज्योतिर्नमोऽस्तुते॥
(अर्थ: दीपक की ज्योति शुभ और कल्याण करने वाली है, जो स्वास्थ्य, धन और शत्रुओं का नाश करती है, उसे नमस्कार है।)
ज्योत की बाती बदलते समय ध्यान रखें कि उसी ज्योत से एक छोटा दीपक अलग से जलाकर बाती बदलें। यदि मुख्य ज्योत बुझ भी जाए, तो उसी छोटे दीपक से दोबारा जलाई जा सकती है।
नवरात्रि की अष्टमी या नवमी तिथि को कन्या पूजन किया जाता है। मान्यता है कि कन्याएं मां लक्ष्मी का स्वरूप होती हैं। इसे कंजक पूजन भी कहा जाता है।
सुबह स्नान के बाद मंदिर की सफाई करें।
कन्याओं के लिए सात्विक भोजन जैसे पूरी, चना, हलवा और सब्जी बनाएं।
मां दुर्गा की पूजा कर मंत्रों का जप और कथा का पाठ करें।
नौ छोटी कन्याओं और एक बालक को आमंत्रित कर उनके पैर धोएं, तिलक लगाएं और भोजन कराएं।
भोजन के बाद श्रद्धा अनुसार दक्षिणा, चुनरी या उपहार दें और उनका आशीर्वाद लें।
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नवमी या दशहरे के दिन जब अखंड ज्योत स्वयं शांत हो जाए तो दीपक की बाती और पूजन सामग्री को किसी पवित्र नदी में विसर्जित करना चाहिए। वहीं श्रृंगार का सामान और लाल चुनरी किसी जरूरतमंद को दान कर देना शुभ माना जाता है।
इस प्रकार, शारदीय नवरात्र 2025 में मां दुर्गा की साधना, अखंड ज्योत और कन्या पूजन के नियमों का पालन करने से साधक को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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