धर्म डेस्क, इंदौर। श्रावण मास की अमावस्या तिथि इस बार एक विशेष संयोग के साथ आ रही है। 24 जुलाई को पड़ रही हरियाली अमावस्या को इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग का साथ प्राप्त हो रहा है। यह दुर्लभ संयोग इसे अत्यंत पुण्यदायी और धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण बना रहा है।
इस दिन हरियाली पूजन, पौधारोपण, पितृकर्म व तीर्थस्नान आदि का विशेष महत्व है। मालवा अंचल की परंपरा अनुसार इस दिन उज्जैन के दूधतलाई और अनंत पेठ में 'दिवासा' का मेला भी आयोजित किया जाएगा, जिसमें ग्रामीण जनजीवन की झलक देखने को मिलेगी।
ज्योतिषाचार्य पं. अमर डब्बावाला के अनुसार इस बार हरियाली अमावस्या को पुनर्वसु नक्षत्र, वज्र योग और चंद्रमा की कर्क राशि में उपस्थिति जैसे संयोग मिलकर इसे 'सर्वार्थ सिद्धि योग' बना रहे हैं। गुरुवार के दिन यह योग आने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है। धार्मिक मान्यता है कि इस योग में किए गए धर्म, दान, तीर्थ, पितृकर्म और अनुष्ठानों से सौगुना पुण्य फल प्राप्त होता है।
मत्स्य पुराण के अनुसार वनस्पति और पितरों का गहरा संबंध होता है। इस दिन पीपल, नीम, बरगद, शमी, अशोक, आंवला, गूलर आदि पौधे लगाना पितरों को प्रसन्न करता है। इनका नियमित सिंचन करने से पितृ कृपा प्राप्त होती है और पारिवारिक दोषों का निवारण होता है। माना जाता है कि पितृ प्रसन्न होकर अपने वंशजों को धन, समृद्धि और सुख-शांति का आशीर्वाद देते हैं।
शास्त्रीय दृष्टिकोण से हरियाली अमावस्या को दर्श अमावस्या की श्रेणी में रखा गया है, जिसका प्रभाव अत्यधिक माना गया है। अमावस्या कूहू, सीनिवाली और दर्श तीन प्रकार की होती है। दर्श अमावस्या पर धार्मिक अनुष्ठान, पिंडदान, तर्पण, पौधारोपण जैसे कर्म करने से विशेष फल मिलता है।
हरियाली अमावस्या पर उज्जैन के दूध तलाई और अनंत पेठ क्षेत्र में लगने वाले मेलों में पारंपरिक खेल-तमाशे और झूले-चकरी की रौनक देखने को मिलेगी। यहां महिलाएं धानी मुक्का जैसे पारंपरिक खेलों में भाग लेंगी और बच्चों के लिए मेलों का विशेष आकर्षण होगा।