
धर्म डेस्क: ओडिशा के पुरी में स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर (Puri Jagannath Mandir) केवल एक धार्मिक स्थल नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति, श्रद्धा और रहस्य का अद्भुत संगम है। इसी मंदिर की सबसे अनोखी विशेषता है इसकी विशाल रसोई, जिसे दुनिया की सबसे बड़ी मंदिर रसोई माना जाता है। लगभग 44,000 वर्ग फुट क्षेत्र में फैली यह रसोई हर दिन लाखों श्रद्धालुओं के लिए महाप्रसाद तैयार करती है।

यहां की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि भक्तों की संख्या कितनी भी हो (20 हजार से लेकर 2 लाख तक) महाप्रसाद न कभी कम पड़ता है और न ही अधिक बनता है। मंदिर प्रशासन किसी प्रकार की माप-तौल नहीं करता, फिर भी प्रसाद सभी भक्तों तक पहुंचता है।
यहां भोजन पकाने का तरीका बेहद अनोखा है। मिट्टी के सात बर्तन एक के ऊपर एक रखकर लकड़ी की आग पर चढ़ाए जाते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि सबसे ऊपर रखा बर्तन सबसे पहले पकता है और फिर नीचे वाले क्रमशः पकते हैं। यह दृश्य भक्तों के लिए भगवान जगन्नाथ का प्रत्यक्ष चमत्कार माना जाता है।
मान्यता है कि इस रसोई में मां लक्ष्मी और देवी अन्नपूर्णा की कृपा सदैव बनी रहती है। कहा जाता है कि यदि प्रसाद तैयार करने वाले रसोइयों के मन में अहंकार या अपवित्रता आ जाए, तो मिट्टी के बर्तन स्वयं टूट जाते हैं, जिससे संकेत मिलता है कि भोजन केवल भक्ति और समर्पण से ही बनाना चाहिए।
मंदिर में प्रतिदिन 56 प्रकार के भोग तैयार किए जाते हैं, जिन्हें भगवान जगन्नाथ को अर्पित करने के बाद “महाप्रसाद” कहा जाता है। यह केवल भोजन नहीं, बल्कि “अन्न ब्रह्म” का प्रतीक है। यह प्रसाद जाति, धर्म और सामाजिक भेदभाव से परे सभी भक्तों के लिए समान रूप से उपलब्ध होता है।
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