
राजेश वर्मा, उज्जैन (Vivah Panchami 2024)। त्रेतायुग में भगवान श्री राम और माता जानकी का विवाह कैसे हुआ था, अगर यह देखना है तो उज्जैन के श्री राम जनार्दन मंदिर में चले आइए। इस मंदिर के गर्भगृह में 300 साल पुराने भित्ति चित्रों की समृद्ध शृंखला राम-सीता विवाह का सजीव चित्रण प्रस्तुत करती है।
जानकारों का मानना है कि मालव मराठा शैली में निर्मित ये चित्र 17वीं शताब्दी में मंदिर के पुनर्निर्माण के समय बनाए गए थे। काल के अंतराल में मौसम के प्रभाव व मंदिर में होने वाली नित्य नियम की पूजा आरती में उपयोग होने वाली धूप, दीये के धुएं से पुरातन कला को थोड़ा नुकसान अवश्य हुआ है।

विक्रम विश्वविद्यालय के पुरातत्ववेत्ता डॉ. रमण सोलंकी ने बताया कि श्री राम जनार्दन मंदिर में भगवान श्री राम, सीता व लक्ष्मणजी की वनवासी वेशभूषा में दुर्लभ मूर्ति विराजित है। इसमें भगवान श्री राम व लक्ष्मण जी की दाढ़ी-मूंछ बढ़ी हुई तथा हाथ में धनुष-बाण लिए हुए उत्तर दिशा की ओर गमन करते हुए दृष्टिगोचर होती है।

किंवदंतियों के अनुसार, वनवास के दौरान भगवान श्री राम, सीता, लक्ष्मण उज्जैन आए थे। उन्होंने यहां षड् विनायक की स्थापना भी की थी। श्री राम जनार्दन मंदिर में अगहन मास की विवाह पंचमी पर युवा शक्ति सांस्कृतिक समिति द्वारा प्रतिवर्ष श्रीराम विवाहोत्सव का आयोजन किया जाता है।
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