
नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। मध्य प्रदेश की स्वच्छ हवा और आधुनिकता के बीच फूटी कोठी रोड पर स्थित रणजीत हनुमान मंदिर अपनी दिव्यता और रहस्यमयी आस्था के लिए पूरे प्रदेश में प्रसिद्ध है। हनुमान जी को समर्पित यह प्राचीन मंदिर प्रतिदिन हजारों भक्तों की श्रद्धा का केंद्र बना रहता है। मंगलवार और शनिवार की विशेष आरतियों के दौरान मंदिर परिसर में भक्ति और विश्वास का विशाल प्रवाह उमड़ पड़ता है।
मंदिर की सबसे अनोखी विशेषता यहां स्थापित भगवान हनुमान की दुर्लभ प्रतिमा है एक ऐसी प्रतिमा जो विश्व में अपनी तरह की अकेली मानी जाती है। इस स्वरूप में हनुमान जी हाथ में तलवार और ढाल लिए खड़े दिखाई देते हैं, मानो किसी निर्णायक युद्ध के लिए तैयार हों। उनके चरणों के पास अहिरावण का स्वरूप स्थापित है, जो इस प्रतिमा की अद्भुतता को और बढ़ा देता है। मंदिर की स्थापना या मूर्ति के निर्माण को लेकर कोई पुख्ता ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है, लेकिन प्रतिमा के तेजस्वी रूप को देखकर ऐसा लगता है कि यह किसी महाकाव्यात्मक युद्ध कथा की जीवंत झलक हो।

स्थानीय लोककथाओं में रणजीत हनुमान मंदिर का नाम एक राजा की हार-जीत से भी जुड़ा है। कहा जाता है कि एक बार युद्ध में पराजय के करीब पहुंच चुका एक राजा भयभीत होकर भर्तहरी गुफा की ओर भागा। वहां एक महान संत गहन ध्यान में लीन थे। राजा चुपचाप उनके समीप बैठा रहा। जब संत ध्यान से जागे तो उन्होंने राजा को एक रोटी देकर कहा कि इसके टुकड़े रास्ते में डालते जाना। जहां टुकड़े खत्म हो जाएंगे, वहीं तुम्हें वह स्थान मिलेगा जहां तुम्हारी सभी कठिनाइयों का अंत होगा।
राजा ने निर्देशों का पालन किया और अंततः जिस स्थल पर रोटी के टुकड़े समाप्त हुए, वहीं रणजीत हनुमान मंदिर था। राजा ने यहां पहुंचकर हनुमान जी की आराधना की और मान्यता है कि इसी पूजा के आशीर्वाद से वह रणभूमि में विजयी होकर लौटा। आज भी मंदिर का नाम ‘रणजीत’ इसी लोककथा से जोड़ा जाता है एक ऐसा स्थान जहां विश्वास जीत दिलाता है और भक्ति हर भय को परास्त कर देती है।

शहर के पश्चिम क्षेत्र में आस्था और उल्लास का चार दिनी संगम मंगलवार से रणजीत हनुमान मंदिर परिसर में नजर आएगा। पहले दिन जहां ध्वजा रोहण होगा वहीं दूसरे दिन बाबा के दरबार में भक्त दीवाली मनाएंगे। सैकड़ों श्रद्धालु शाम ढलते ही थाल में दीपक लेकर आएंगे और परिसर के हर कोने को दीपों से रोशन करेंगे। इसके बाद तीसरे दिन उत्सव विग्रहों का महाभिषेक होगा। साथ ही कष्ट का निवारण करने वाले सवा लाख रक्षा सूत्रों को अभिमंत्रित किया जाएगा। मुख्य उत्सव रणजीत अष्टमी पर 12 दिसंबर को होगा। इस दिन प्रभातफेरी में सर्द भौर के बाद भी हर ओर बाबा रणजीत के लिए अपार आस्था दिखाई देगी। देश-प्रदेश में ख्यात रणजीत हनुमान मंदिर के 140 वें रणजीत अष्टमी महोत्सव की तैयारियों को सोमवार को अंतिम रूप दे दिया गया है।
मंदिर प्रबंधक नागेश्वर सिंह के अनुसार चार दिनी महोत्सव के लिए मंदिर में दो मेटल डिटेक्टर मशीन लगाई जाएगी।इससे होकर ही हर भक्त को प्रवेश मिलेगा। प्रभातफेरी में भी सीसीटीवी और ड्रोन के माध्यम से नजर रखी जाएगी। इस बार रागिनी मक्खर सहित कई कलाकारों की प्रस्तुति भी होगी। प्रभातफेरी से पहले युवाओं ने शांति मार्च निकालकर व्यवस्थाओं में सहयोग देने की अपील की।
इस वर्ष किए जा रहे नवचार में पहला मौका होगा जब दो नवीन विषयों पर भक्त झांकियों को निहार सकेंगे। इसमें पहली झांकी में माता अंजनी की गोद में बाल स्वरूप में हनुमान भक्तों को दर्शन देंगे।राम राज्य की कल्पना पर आधारित झांकी भी आकर्षण का केंद्र होगी। रणजीत बाबा के रथ को 500 सदस्य खीचेंगे।
प्रभातफेरी के निमित पश्चिम क्षेत्र के 500 से अधिक परिवारों में मेहमान आ रहे है। इन मेहमान का आगमन शुरू हो चुका है। फूटी कोठी क्षेत्र में रहने वाले विनय शर्मा ने बताया कि वे बैंगलौर में नौकरी करते है और पांच दिनों की छुट्टी लेकर खास तौर पर प्रभातफेरी में शामिल होने आए है। इस अवसर पर जिन बेटियों के विवाह अन्य शहरों में हुए वे भी उत्सव में शामिल होने आ रही है। साथ ही देश के विभिन्न शहर के साथ विदेशों से भी भक्त आएंगे।
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पौष कृष्ण पक्ष की अष्टमी पर प्राचीन रणजीत हनुमान मंदिर से रणजीत हनुमान की प्रभातफेरी की कहानी भी बड़ी रोचक है।अब जहा प्रभातफेरी में लाखों श्रद्धालु शुरू होते थे कभी गिनती के भक्त हाथ में तस्वीर लेकर मंदिर की परिक्रमा लगाते थे। 139 साल पुराने इस मंदिर की इस प्रभातफेरी हर वर्ष वहद स्वरूप ले रही है। मंदिर के पुजारी दीपेश व्यास बताते है कि1985 से प्रभातफेरी ठेले पर निकालना शुरू की गई। उस दौरान महूनाका चौराहा तक यात्रा निकाली जाने लगी थी। इसके बाद 2008 में बग्घी पर यात्रा निकाली गई।
इस वर्ष भक्तों ने बाबा के लिए रथ बनाने का संकल्प लिया और 2015 में पहली बार रथ पर प्रभातफेरी निकाली गई, तब तक भक्तों की संख्या सामान्य थी लेकिन 2016 यकायका संख्या कई गुणा बढ़ी और 50 हजार से ज्याता भक्त शामिल हुए। इसके बाद से भक्तों की संख्या में हर साल वृद्धि हो रही है।