धर्म डेस्क: पितृ पक्ष का अंतिम दिन (Last Day Of Pitru Paksha) सर्वपितृ अमावस्या (Sarva Pitru Amavasya 2025) इस वर्ष 21 सितंबर 2025 को पड़ रही है। इस तिथि को वे सभी लोग श्राद्ध करते हैं जिनके परिजनों की मृत्यु अमावस्या, पूर्णिमा या चतुर्दशी तिथि को हुई हो या जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात न हो। माना जाता है कि इस दिन पितृ अपने लोक लौट जाते हैं, इसलिए इसे पितरों की विदाई का दिन भी कहा जाता है। सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण (Surya Grahan Or Sun Eclipse) का संयोग बन रहा है। ऐसे में इस दिन कुछ नियम और सावधानियों का पालन करना अत्यंत जरूरी माना गया है।
इस बार सर्वपितृ अमावस्या पर सूर्य ग्रहण भी लग रहा है। हालांकि यह भारत में दिखाई नहीं देगा, फिर भी धार्मिक मान्यता के अनुसार इसका प्रभाव अवश्य माना जाता है। ग्रहण के समय वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा का प्रभाव बढ़ जाता है, इसलिए इस दिन विशेष सावधानी बरतना आवश्यक है।
शास्त्रों में उल्लेख है कि अमावस्या के दिन तुलसी पूजा नहीं करनी चाहिए। इस दिन तुलसी को छूना, पत्ते तोड़ना या उसमें जल अर्पित करना अशुभ माना जाता है। ऐसा करने से साधक को बाधाओं और परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
सर्वपितृ अमावस्या के दिन तामसिक भोजन जैसे मांसाहार और शराब का सेवन वर्जित माना गया है। इनका सेवन पितरों की नाराज़गी का कारण बन सकता है। इसके अलावा इस दिन बाल और नाखून काटना भी निषेध है। कहा जाता है कि ऐसा करने से पितरों की कृपा कम हो जाती है।
ग्रहण काल के कारण इस दिन वातावरण में नकारात्मक ऊर्जा अधिक सक्रिय रहती है। ऐसे में श्मशान घाट, सुनसान जगह या अन्य नकारात्मक स्थानों पर जाने से बचना चाहिए। विशेष रूप से गर्भवती महिलाओं को इस नियम का पालन अवश्य करना चाहिए ताकि उन्हें किसी प्रकार की हानि न हो।
भले ही सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, लेकिन ज्योतिषीय दृष्टि से इसका प्रभाव माना जाता है। गर्भवती महिलाओं को इस दिन घर से बाहर जाने से बचना चाहिए और किसी भी प्रकार की नुकीली वस्तु का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इसे गर्भस्थ शिशु की सुरक्षा के लिए आवश्यक माना जाता है।
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