धर्म डेस्क, इंदौर, Sawan 2025 Special। सावन का महीना (Sawan Ka Mahina) आते ही बिलासपुर के चांटीडीह शिव मंदिर में आस्था की बयार बहने लगती है। भगवान भोलेनाथ (Bholenath) के इस प्राचीन धाम में हर सोमवार (Sawan Somvar) भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ता है। 102 वर्षों से सावन में यहां भक्तों का यह उत्सव जारी है, जो अब एक परंपरा ही नहीं, श्रद्धा और संस्कृति का जीवंत प्रतीक बन चुका है।
सावन का पहला सोमवार हो या अंतिम हर दिन शिवलिंग पर जलाभिषेक करने वालों की लंबी कतारें मंदिर प्रांगण को भक्तिमय वातावरण से भर देती हैं। कहते हैं कि यहां भोलेनाथ पर जल चढ़ाने से मनोकामनाएं अवश्य पूरी होती हैं।
दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालु न सिर्फ पूजा-अर्चना करते हैं, बल्कि इस ऐतिहासिक मंदिर की महत्ता को भी महसूस करते हैं। चांटीडीह शिव मंदिर की नींव 1923 में मंगली प्रसाद सोनी ने रखी थी।
चारों धाम की यात्रा के बाद उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया। इससे श्रद्धालुओं को एक ही स्थान पर चारों धाम का आशीर्वाद प्राप्त करने का सौभाग्य मिलता है। आज यह मंदिर न केवल क्षेत्र का धार्मिक केंद्र है, बल्कि सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक भी है।
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वर्ष 2008 में इसका जीर्णोद्धार किया गया और 2023 में इस ऐतिहासिक मंदिर ने अपनी 100वीं वर्षगांठ भी पूरी की। सावन भर मंदिर परिसर में लगी रहती है मेले जैसी भीड़ी: सावन में मंदिर समिति द्वारा भक्तों के लिए जलाभिषेक की विशेष व्यवस्था की जाती है।
मंदिर के मूल गर्भगृह और प्राचीन स्थापत्य को सुरक्षित रखते हुए चारों ओर से नवनिर्माण भी किया गया है, जिससे सुविधाएं बढ़ी हैं पर परंपरा की गरिमा बनी रही है। पूरे सावन भर मंदिर परिसर में मेले जैसा वातावरण रहता है।