नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। अहिल्या की नगरी में शिव आराधना के श्रावण मास के 22वें दिन शुक्रवार को शिव भक्ति का अनूठा दृश्य नजर आया जब अपनी तरह की अनूठी सीताराम डाक कांवड़ यात्रा ने हर-हर महादेव का जयघोष लगाते हुए भ्रमण किया। इसमें 72 घंटे में 200 भक्त 1100 किलोमीटर दौड़कर अयोध्या से सरजू नदी का जल लेकर आए थे। एक कांवड़ को ओलिंपिक मशाल की तरह लेकर कांवड़ियों ने बारी-बारी से 100 से 150 किलोमीटर की दौड़ लगाई। इस जल से स्कीम 78 स्थित राम रामेश्वर महादेव का जलाभिषेक किया।
विधि विधान से पूजन अर्चन कर अयोध्या के सरयू नदी के तट से जल लेकर सीताराम डाक कांवड़ शुरू हुई थी। यह लखनऊ, कानपुर, कालपी, झांसी, शिवपुरी, गुना, शाजापुर, मक्सी, देवास होते हुए शनिवार शाम को इंदौर पहुंची। यहां विजय नगर, एलआइजी, पलासिया, रीगल तिराहा, कृष्णपुरा छत्री, राजवाड़ा के बाद मालवा मिल, परदेशीपुरा, पाटनीपुरा, विजय नगर होते हुए स्कीम 78 अरण्य धाम पहुंची। इसके बाद बावड़ी वाले बालाजी व फलाहारी बाबा का पूजन करने के साथ सरयू के जल से महादेव का अभिषेक किया। इस दौरान क्षेत्र के श्रद्धालु बड़ी संख्या में एकत्रित हुए।
रातभर-भजन कीर्तन हुआ। महामंडलेश्वर राम बाबा एवं सीताराम भक्त मंडल के सदस्य कमलेश्वर सिंह सिसोदिया बताते हैं कि मंडल अपनी तरह की अनूठी इस यात्रा का आयोजन इंदौर में पिछले 10 वर्ष से कर रहा है। इसमें हर ेवर्ष अलग-अलग तीर्थ स्थल से जल लाकर महादेव का अभिषेक किया जाता है। हर वर्ष दूरी में वृद्धि की जाती है।
देश में तीन तरह की कांवड़ का चलन
महामंडलेश्वर राम बाबा बताते हैं कि देश में श्रावण में तीन तरह की कांवड़ यात्रा का चलन है। इसमें पहली पैदल कांवड़ में भक्त अपने गंतव्य स्थान से कांवड़ में जल भरकर दिन के समय पैदल लेकर चलते और रात्रि में विश्राम होता है। अगले दिन सुबह फिर कांवड़ लेकर चलना शुरू करते हैं।
हमारे यहां पैदल कांवड़ का चलन ज्यादा है। दूसरी अखंड कांवड़ यात्रा में भक्त कांवड़ लेकर दिन और रात दोनों समय चलते रहते हैं। इसे अखंड कांवडट कहा जाता है। तीसरी डाक कांवड़ में कांवड़ तो एक ही रहती है लेकिन बारी-बारी से भक्त लेकर दौड़ते और गंतव्य तक पहुंचते हैं। इस तरह की यात्रा का चलन उत्तराखंड एवं झारखंड में अधिक है।
ये भी पढ़ें: Raksha Bandhan 2025: रक्षाबंधन पर भाई को राशि अनुसार बांधे इस की रंग राखी, दोनों को जीवन में मिलेगी सफलता