
धर्म डेस्क: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शनिदेव को न्यायप्रिय और कर्मफलदाता देवता कहा गया है। माना जाता है कि वे व्यक्ति के कर्मों के अनुसार ही उसे सुख या दुख का फल (Shani Dosh Ke Upaay) प्रदान करते हैं। यही कारण है कि शनि की महादशा, साढ़ेसाती या ढैय्या का नाम सुनते ही लोग चिंतित हो जाते हैं, क्योंकि यह समय कई लोगों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है। लेकिन हर व्यक्ति पर शनि का प्रभाव एक जैसा नहीं होता। कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिन पर शनिदेव की कृपा निरंतर बनी रहती है और वे कष्टों से बचे रहते हैं।

मान्यता है कि जो व्यक्ति अपने कर्मों को पवित्र रखते हैं, ईमानदारी से काम करते हैं और दूसरों की सहायता करने में संकोच नहीं करते, उन्हें शनि से भयभीत होने की आवश्यकता नहीं होती। ऐसे साधक जो मांस-मदिरा से दूर रहते हैं और अपने माता-पिता, बुजुर्गों तथा गुरुजनों का सम्मान करते हैं, उन पर शनिदेव विशेष अनुकंपा बनाए रखते हैं। यह भी कहा जाता है कि सत्य मार्ग पर चलने वाला और किसी का अहित न करने वाला व्यक्ति कभी भी शनि की कुदृष्टि का शिकार नहीं होता।
पौराणिक कथाओं के अनुसार हनुमान जी को शनिदेव ने वचन दिया था कि वे उनके भक्तों को कष्ट नहीं देंगे। इसलिए शनिवार के दिन हनुमान जी की पूजा करने वाले तथा उनके नाम का स्मरण करने वाले व्यक्तियों को शनि दोष का भय नहीं रहता। शनिदेव और हनुमान दोनों की संयुक्त उपासना जीवन में कई तरह की बाधाओं और भय को दूर करती है।

कुछ उपाय भी बताए गए हैं जिनसे शनि की पीड़ा कम होती है। जो लोग शनिवार के दिन पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं और शाम को उसके नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाते हैं, उन्हें शनि दोष में राहत मिलती है। इसी प्रकार काले तिल, लोहे के बर्तन, सरसों का तेल और काली उड़द का दान करने से भी शुभ फल प्राप्त होते हैं।
वहीं दूसरी ओर, जो लोग निर्दोषों को सताते हैं, बुजुर्गों का अनादर करते हैं या पशु-पक्षियों को कष्ट पहुंचाते हैं, उनके लिए शनि की वक्र दृष्टि का सामना करना पड़ता है। ऐसी मान्यता है कि गलत आचरण और अहंकार रखने वाले व्यक्तियों पर शनि कठोर फल का प्रहार करते हैं।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। नईदुनिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। नईदुनिया अंधविश्वास के खिलाफ है।