
धर्म डेस्क। भारत में अनेक प्राचीन और पवित्र मंदिर हैं, जहां श्रद्धालुओं की आस्था अटूट मानी जाती है। इन्हीं में से एक तिरुपति बालाजी मंदिर है, जो आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित है। भगवान श्रीवेंकटेश्वर के दर्शन के लिए हर दिन हजारों भक्त पहुंचते हैं। यहां आने वाले भक्तों के बीच सदियों से बाल अर्पित करने की परंपरा भी प्रचलित है। आइए जानते हैं इस परंपरा के पीछे की कथा क्या है।
ऋषि भृगु और यज्ञफल की कथा
पौराणिक मान्यता के अनुसार, एक बार विश्व कल्याण के लिए एक यज्ञ रखा गया। प्रश्न यह उठा कि इस यज्ञ का फल किसे अर्पित किया जाए। यह जिम्मेदारी ऋषि भृगु को दी गई। वे पहले ब्रह्मा जी के पास गए, फिर भगवान शिव के पास, लेकिन उन्हें दोनों ही इसके योग्य नहीं लगे। अंत में वे बैकुंठ पहुंचे, जहां भगवान विष्णु विश्राम कर रहे थे।
विष्णु जी को ऋषि भृगु के आगमन का पता न चला, जिसे भृगु ऋषि ने अपमान समझ लिया और आक्रोश में आकर उन्होंने विष्णु जी के वक्ष पर पैर से प्रहार कर दिया। विष्णु जी ने विनम्र भाव से ऋषि के पैर पकड़कर पूछा“ऋषिवर, आपके पांव में चोट तो नहीं लगी?” उनके इस व्यवहार से भृगु को अपनी गलती समझ आ गई और उन्होंने यज्ञ का फल विष्णु जी को समर्पित करने का निर्णय लिया।
लक्ष्मी जी क्यों नाराज होकर बैकुंठ छोड़ गईं
ऋषि द्वारा किए गए इस अपमान को देखकर माता लक्ष्मी अत्यंत दुखी हुईं। वे चाहती थीं कि इसका प्रतिकार हो, परंतु भगवान विष्णु ने ऐसा नहीं किया। इससे नाराज़ होकर लक्ष्मी जी बैकुंठ छोड़कर पृथ्वी पर रहने लगीं। विष्णु जी ने उन्हें काफी खोजा, लेकिन वे नहीं मिलीं। अंततः श्रीहरि ने पृथ्वी पर श्रीनिवास के रूप में अवतार लिया।
भगवान शिव और ब्रह्मा ने भी उनकी सहायता के लिए गाय और बछड़े का रूप धारण किया। पृथ्वी पर ही लक्ष्मी जी पद्मावती के रूप में अवतरित हुईं और बाद में श्रीनिवास व पद्मावती का विवाह भी हुआ।
कैसे शुरू हुई बाल चढ़ाने की परंपरा
विवाह के कुछ अनुष्ठानों के लिए भगवान विष्णु ने कुबेर देव से धन उधार लिया था और वचन दिया कि कलियुग के अंत तक ब्याज सहित यह कर्ज लौटा देंगे। इसी कारण भक्त तिरुपति में भगवान की कर्ज़ मुक्ति के लिए दान देते हैं।इसी क्रम में बालों का दान भी एक प्रमुख परंपरा बन गया। मान्यता है कि जितने बाल भक्त अर्पित करता है, भगवान उसे उसके बदले कई गुना फल देते हैं और माता लक्ष्मी की कृपा भी सदैव बनी रहती है।
इसे भी पढ़ें- Ketu Gochar: केतु 2026 तक इन 3 राशि वालों को करेगा मालामाल, धन की नहीं होगी कमी