धर्म डेस्क। ज्योतिष मे शनि और मंगल दोनों की गिनती पाप ग्रहों में होती है। कुंडली में इनकी अशुभ स्थिति भाव फल का नाश कर व्यक्ति को परेशानियों में डाल सकती है। यह योग जातक को जीवन मे बहुत संघर्ष देने वाला होता है। जातक काफी परेशानियों के बाद अपने काम मे स्थित होता है। ये युति व्यक्ति को बिल्डर मशीनरी कार्य मे पुरुषार्थ के द्वारा व्यक्ति को बहुत आगे तक पंहुचाता है। ज्योतिष आचार्य मण्डन मिश्र: के अनुसार यदि किसी कुंडली में ये दोनों ग्रह साथ-साथ हों, चाहे शुभ भावों के स्थायी क्यों न हो, जीवन को कष्टकार बनाते ही हैं। ये ग्रह जिस भी भाव में हो, हानि ही करते हैं।
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शनि-मंगल युति मे व्यक्ति के जीवन में शुभ अशुभ घटनाएं जीवन में अचानक घटती हैं। अचानक विवाह जुड़ना, अचानक प्रमोशन, बिना कारण घर बदलना, नौकरी छूटना, कार्यस्थल या शहर-देश से बाहर जाना आदि शनि-मंगल युति के आकस्मिक परिणाम होते हैं।