नईदुनिया प्रतिनिधि, इंदौर। शहर भर में शक्ति की उपासना का पर्व नवरात्र की तैयारी जोर-शोर से जारी है। इस मौके पर मठ-मंदिर में माता की भक्ति का उल्लास छाएगा। हर दिन अलग-अलग स्वरूप में माता का शृंगार किया जाएगा। घरों में घट स्थापना होगी। इस साल माता के उपासना का पर्व कई शुभ संकेत दे रहा है। ज्योतिर्विदों की मानें तो इस बार माता का आगमन हाथी पर होगा। हाथी पर आगमन सुख-समृद्धि का प्रतीक है। इसके साथ ही एक तिथि की वृद्धि से पर्व नौ की बजाए दस दिन का होना भी मंगलकारी है।
शारदीय नवरात्र पर्व अश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को 22 सितंबर को शुरू होगा। इस वर्ष तृतीया तिथि 24 व 25 सितंबर को दो दिन रहेगी। प्रतिपदा तिथि 21 सितंबर को रात 1.24 बजे से 22 सितंबर की रात 2.57 बजे तक रहेगी। 22 सितंबर को उदयाकाल में प्रतिपदा तिथि होने से इसी दिन घट स्थापना होगी। इस दिन सुबह 11.24 बजे से मंगलकारी हस्त नक्षत्र भी रहेगा। साथ ही दिवस पर्यंत विशेष शुक्ल योग भी रहेगा।
ज्योतिर्विद् विनायक त्रिवेदी के अनुसार माता के आगमन एवं विदाई का वाहन दिन सप्ताह के दिन के आधार पर निर्धारित होता है। नवरात्र का प्रारंभ जब रविवार या सोमवार हो तो उस दिन का वाहन गज बताया गया है।
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22 सितंबर- घट स्थापना के साथ ही माता के शैलपुत्री स्वरूप का पूजन होगा।
23 सितंबर- दूसरे दिन माता के ब्रह्मचारिणी स्वरूप का पूजन किया जाएगा।
24 सितंबर- सिंदूर तृतीया पर माता के चंद्रघटा स्वरूप का पूजन होगा।
25 सितंबर- इस दिन तृतीया तिथि एवं विनायक चतुर्थी भी रहेगी।
26 सितंबर- माता कृष्मांडा पूजा एवं उपांग ललिता व्रत किया जाएगा।
27 सितंबर- पंचमी के दिन स्कंदमाता की पूजा होगी।
28 सितंबर- षष्ठी को माता कात्यायनी का पूजन किया जाएगा।
29 सितंबर- सप्तमी पर माता सरस्वती का आव्हान व कालरात्रि पूजा होगी।
30 सितंबर- अष्टमी के दिन कुल परंपरा अनुसार माता का पूजन होगा।
1 अक्टूबर- महानवमी पर आयुध पूजा, हवन होगा।
2 अक्टूबर- नवरात्र का पारण, दुर्गा विसर्जन एवं विजय दशमी पर्व मनाया जाएगा।
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