धर्म डेस्क। 21 सितंबर को इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा। यह एक अद्भुत खगोलीय घटना है। रविवार को लगने वाला सूर्य ग्रहण एक आंशिक सूर्य ग्रहण होगा। इसका काफी ज्यादा वैज्ञानिक, ज्योतिष और धार्मिक महत्व होता है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से देखें, तो जब चंद्रमा, धरती और सूर्य के बीच से होकर गुजरता है, तो इस स्थिति में सूर्य की रोशनी पृथ्वी पर नहीं पहुंच पाती है इस खगोलीय घटना को ही सूर्य ग्रहण कहते हैं। आपके मन में ग्रहण के लेकर जो भी सवाल हैं, आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से उनका जवाब देने जा रहे हैं। आइए जानते हैं ग्रहण से जुड़े सवालों के जवाब…
21 सितंबर को साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लगेगा। हालांकि, भारत में इसको नहीं देखा जा सकेगा। चूंकि भारत में इसको नहीं देखा जाएगा इस कारण इसका कोई धार्मिक या ज्योतिषीय प्रभाव भी नहीं माने जाएंगे। ऐसे में सूतक भी नहीं लगेगा।
भारतीय समायनुसार इस साल का आखिरी सूर्य ग्रहण रात 10:59 से शुरू होगा और 22 सितंबर 3.23 बजे समाप्त होगा। रात्रि के 1.11 पर सूर्य ग्रहण अपने चरण पर होगा।
जानकारी के अनुसार, मुख्य रूप से गोलार्ध में दिखाई देगा, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, फिजी में सूर्य ग्रहण को देखा जा सकेगा। यह ग्रहण मुख्य रूप से उत्तरी और दक्षिणी गोलार्द्ध के कुछ हिस्सों में ही दिखाई देगा। खगोल विज्ञान के अनुसार सूर्य ग्रहण तब होता है, जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच आ जाता है। सूर्य की रोशनी कुछ समय के लिए बाधित हो जाती है।
21 सितंबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में नहीं देखा जा सकेगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सूर्य ग्रहण ना दिखने के कारण सूतक भी नहीं लगेगा।
भारत में सूर्य ग्रहण का काफी धार्मिक महत्व माना जाता है। रविवार को पितृ विसर्जनी अमावस्या के दिन साल का आखिरी सूर्य ग्रहण लग रहा है। देश में न दिखने से सूतक काल नहीं होगा और धार्मिक कार्य अपने समयानुसार होंगे। ग्रहण आश्विन कृष्ण पक्ष की अमावस्या को कन्या राशि और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में लगेगा।
सूर्य ग्रहण को लेकर सनातन धर्म में विशेष मान्यता है। ऐसे में सूर्य ग्रहण के दौरान कई उपाय बताए गए हैं, जो सूर्य ग्रहण के समय करने चाहिए। सूर्य ग्रहण के बुरे प्रभाव से बचने के लिए पवित्र नदी में स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव की पूजा-अर्चना करें। धार्मिक मान्यता के अनुसार, सूर्य ग्रहण के बाद इस उपाय को करने से सभी बुरे प्रभाव दूर हो जाते हैं।
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सूर्य ग्रहण से 12 घंटे पहले सूतक काल की शुरुआत होती है। इस अवधि के दौरान पूजा-पाठ, शुभ और मांगलिक काम करने की मनाही है। ऐसा माना जाता है कि सूतक काल के दौरान प्रभु के नाम का जप करें। इसके अलावा भोजन का सेवन न करें। सूर्य ग्रहण के समापन के साथ ही सूतक समय खत्म होता है। हालांकि इस बार भारत में सूतक काल मान्य नहीं होगा।
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। नईदुनिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। नईदुनिया अंधविश्वास के खिलाफ है।