धर्म डेस्क: भाद्रपद पूर्णिमा के दिन 7 सितंबर 2025 को साल का दूसरा पूर्ण चंद्र ग्रहण (Total Lunar Eclipse Date) लगने जा रहा है। यह भारत में भी दिखाई देगा, इसलिए इसका धार्मिक महत्व और सूतक काल मान्य होगा। खासतौर पर गर्भवती महिलाओं के लिए यह समय संवेदनशील माना जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार, Chandra Grahan के दौरान की गई गलतियां गर्भस्थ शिशु पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती हैं। आइए जानते हैं सूतक काल (Sutak Kal) में गर्भवती महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और कौन से उपाय करने चाहिए।
7 सितंबर 2025 को रात 9 बजकर 58 मिनट पर चंद्र ग्रहण शुरू होगा और यह 8 सितंबर की रात 1 बजकर 26 मिनट तक रहेगा। यह एक पूर्ण चंद्र ग्रहण होगा और भारत में दिखाई देगा। इस कारण सूतक काल का पालन आवश्यक माना जाएगा।
सूतक काल के दौरान गर्भवती महिलाएं क्या न करें
गर्भवती महिलाओं को इस समय किसी भी प्रकार की नुकीली वस्तुओं जैसे सुई, चाकू, या कैंची का प्रयोग नहीं करना चाहिए। ग्रहण को नग्न आंखों से देखने से भी बचना चाहिए। साथ ही इस दौरान उन्हें कहीं बाहर विशेषकर नकारात्मक स्थानों जैसे श्मशान आदि पर नहीं जाना चाहिए।
ग्रहण के समय भोजन या अन्य पवित्र चीजों में तुलसी के पत्ते डालकर रखना शुभ माना जाता है। इससे उन पर ग्रहण का नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता। साथ ही गर्भवती महिलाओं को इस समय भगवान विष्णु, श्रीराम या श्रीकृष्ण के मंत्रों का जाप करना चाहिए। चंद्र देव के बीज मंत्र "ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चंद्रमसे नमः" का जाप भी लाभकारी माना जाता है।
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि इन सावधानियों का पालन करने से गर्भस्थ शिशु सुरक्षित रहता है और ग्रहण का कोई नकारात्मक असर नहीं पड़ता। इसलिए चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सतर्कता बरतनी चाहिए।
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