
धर्म डेस्क। केरल में एक ऐसा मंदिर है, जहां पूजा से पहले पुरुष श्रद्धालुओं को महिलाओं की तरह सोलह श्रृंगार करना अनिवार्य माना जाता है। यह अनोखी परंपरा कोट्टनकुलंगरा श्रीदेवी मंदिर से जुड़ी है, जो केरल के कोल्लम जिले में स्थित है। वर्षों से चली आ रही इस परंपरा के कारण यह मंदिर आज देश-विदेश में चर्चा का विषय बना हुआ है।
महिलाओं की तरह सजते हैं पुरुष श्रद्धालु
मंदिर में देवी की आराधना से पहले पुरुष साड़ी पहनते हैं, चूड़ियां, बिंदी और अन्य श्रृंगार सामग्री से खुद को सजाते हैं। सोलह श्रृंगार के बाद वे देवी भाग्यवती से अच्छी नौकरी, स्वास्थ्य, विवाह और परिवार की सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। यह परंपरा श्रद्धा और आस्था का प्रतीक मानी जाती है।
चाम्याविलक्कू उत्सव की खास पहचान
कोट्टनकुलंगरा श्रीदेवी मंदिर में हर साल 23 और 24 मार्च को चाम्याविलक्कू उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान हजारों पुरुष महिलाओँ की तरह सजे-धजे रूप में मंदिर पहुंचते हैं और दीप जलाकर देवी की पूजा करते हैं। बताया जाता है कि हर साल 5,000 से अधिक पुरुष इस अनोखे उत्सव में हिस्सा लेते हैं।
स्वयं प्रकट हुई देवी की मान्यता
स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, मंदिर में स्थापित देवी की प्रतिमा स्वयं प्रकट हुई थी। यह भी कहा जाता है कि यह केरल का इकलौता मंदिर है, जिसके गर्भगृह पर न तो छत है और न ही कलश। मान्यता है कि देवी की प्रतिमा हर साल कुछ इंच आकार में बढ़ जाती है।
परंपरा से जुड़ी मान्यताएं
एक मान्यता के अनुसार, सालों पहले कुछ चरवाहों ने यहां महिलाओं की तरह कपड़े पहनकर एक पत्थर पर फूल चढ़ाए थे, जिसके बाद उसमें दिव्य शक्ति प्रकट हुई। दूसरी कथा में बताया जाता है कि पत्थर पर नारियल फोड़ते समय उससे खून निकलने लगा, जिससे लोगों की आस्था बढ़ी और पूजा शुरू हुई। इन मान्यताओं के चलते यह परंपरा हजारों सालों से निभाई जा रही है।
आधुनिक सुविधाएं भी उपलब्ध
मंदिर परिसर में पुरुष श्रद्धालुओं के लिए विशेष मेकअप रूम बनाए गए हैं, ताकि वे आसानी से श्रृंगार कर सकें। अनोखी पूजा पद्धति और गहरी आस्था के कारण यह मंदिर लगातार श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र बना हुआ है।
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