धर्म डेस्क: वास्तु शास्त्र (Mandir Vastu Tips) में घर के मंदिर को विशेष महत्व दिया गया है। यह स्थान केवल पूजा-पाठ का केंद्र नहीं होता बल्कि यह घर के वातावरण में सकारात्मकता का संचार करता है। अगर मंदिर से जुड़े कुछ नियमों का पालन किया जाए तो घर में सुख-समृद्धि और शांति बनी रहती है। वहीं, मंदिर से जुड़ी छोटी-छोटी गलतियां देवी-देवताओं की नाराजगी का कारण बन सकती हैं।
घर का मंदिर हवादार और रोशनी से युक्त होना चाहिए। इससे वातावरण पवित्र और ऊर्जा से भरा हुआ रहता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, लकड़ी या संगमरमर से बने मंदिर शुभ माने जाते हैं। मंदिर को सजाने के लिए सफेद, क्रीम या हल्के पीले रंगों का उपयोग करें। गहरे रंग नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित कर सकते हैं इसलिए उनसे बचना चाहिए। मंदिर में घंटी लगाना, मंगल कलश और गंगाजल रखना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
वास्तु शास्त्र में मंदिर को उत्तर-पूर्व दिशा यानी ईशान कोण में रखना सबसे शुभ बताया गया है। मंदिर का मुख पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए ताकि पूजा करते समय पूर्व दिशा का सामना किया जा सके। इस बात का ध्यान रखें कि मंदिर को कभी भी बेडरूम या बाथरूम के पास न बनवाएं, क्योंकि यह नकारात्मक परिणाम दे सकता है।
घर के मंदिर में साफ-सफाई बेहद जरूरी है। मंदिर को कभी भी सीधे फर्श पर न रखें। इसे थोड़ी ऊंचाई पर किसी मेज या स्टैंड पर स्थापित करें। साथ ही यह घर की शांत जगह पर होना चाहिए, ताकि पूजा-पाठ और ध्यान के समय मन एकाग्र रहे। मंदिर के आसपास जूते-चप्पल, झाड़ू या कूड़ेदान बिल्कुल भी न रखें क्योंकि यह अशुभ माना जाता है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, घर के मंदिर से जुड़े इन नियमों का पालन करने से घर में सुख-शांति और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। वहीं छोटी-छोटी लापरवाहियां न केवल नकारात्मकता ला सकती हैं बल्कि देवी-देवताओं की कृपा से भी वंचित कर सकती हैं। इसलिए मंदिर से जुड़े वास्तु टिप्स को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए।
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