धर्म डेस्क, इंदौर। रात को नींद बार-बार टूटने पर सुबह उठने पर थकान महसूस होती है। यह आपके बेडरूम की बनावट और सोने के तरीकों से जुड़ा हो सकता है। वास्तु शास्त्र में ऐसे कई उपाय बताए गए हैं, जिन्हें अपनाकर आप नींद की गुणवत्ता सुधार सकते हैं। यह आपको स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से भी बचा सकते हैं।
वास्तु के अनुसार सोते समय व्यक्ति का सिर उत्तर या पश्चिम दिशा में नहीं होना चाहिए। यह स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है। आयु पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है। सिर पूर्व या दक्षिण दिशा की ओर रखकर सोना चाहिए। यह आपको बेहतर नींद देगा। आपका बेड भी दक्षिण दिशा में ही होना चाहिए।
बेडरूम में हल्के रंग का ही पेंट होना चाहिए। यह आपकी नींद के लिए बहुत सकारात्मक होगा। यहां तक की बेडशीट भी हल्के रंग की होने से मानसिक शांति मिलती है। इसके अलावा यह ध्यान रखें कि सोते समय पैर दरवाजे की तरफ न हों, क्योंकि यह सेहत पर विपरीत असर डाल सकता है।
सोने से पहले मोबाइल, लैपटॉप या अन्य इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस को खुद से दूर कर दें। इनसे निकलने वाली ऊर्जा नींद में बाधा डाल सकती है। यह आपकी मानसिक बेचैनी भी बढ़ा सकती है। बेड के नीचे सामान नहीं रखना चाहिए, क्योंकि यह वास्तु दोष का कारण बनता है, जिससे नींद बार-बार टूट सकती है।
वास्तु और शास्त्रों में सूर्यास्त के तुरंत बाद सोने नहीं चाहिए है। रात का पहला प्रहर यानी लगभग 9 से 10 बजे के बीच सोना उचित माना जाता है। उठने के लिए ब्रह्म मुहूर्त (सुबह 4 से 5 बजे के बीच) सबसे सही समय होता है। दिन में सोने से भी रोग जन्म ले सकते हैं।
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