Indresh Upadhyay: राधा रानी कौन थीं… कथा वाचक इंद्रेश उपाध्याय ने किया भगवान के मोहिनी रूप और सूर्य देव से संबंध का वर्णन
सनातन धर्म के करोड़ों करोड़ अनुयायी ऐसे हैं, जो राधा रानी का नाम लेकर भावुक हो जाते हैं। धर्म ग्रंथों में जितना वर्णन भगवान श्रीकृष्ण का है, उतना ही वर्णन श्री जी यानी राधा रानी का भी है।
Publish Date: Tue, 10 Sep 2024 07:00:00 AM (IST)
Updated Date: Thu, 12 Sep 2024 07:00:51 PM (IST)
11 सितंबर को देशभर में राधा अष्टमी मनाई जाएगी।HighLights
- भगवान नारायण ने धरा था मोहिनी रूप
- सूर्य देव के मन में जागा था पुत्री का भाव
- नारायण ने वृषभानु के रूप में लिया जन्म
धर्म डेस्क, इंदौर (Radha Rani Katha)। कथावाचक इंद्रेश कुमार ने अपने एक प्रवचन ने इस प्रश्न का उत्तर देने की कोशिश की कि राधा रानी कौन थीं? इंद्रेश कुमार के अनुसार, राधा रानी का वर्णन शब्दों से परे है। फिर भी एक कथानक के माध्यम से उत्तर दिया जा सकता है।
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मोहिनी के प्रति सूर्य देव के भाव थे सबसे अलग
- इंद्रेश कुमार के अनुसार, भगवान नारायण ने मोहिनी रूप धरा, तो सारे देवता मोहित हो गए। यहां तक कि भोलेनाथ भी रीझ गए।
- सभी देवताओं के मन में यही विचार आया कि उनको अर्धांगिनी मिले, तो मोहिनी जैसी सुंदर मिले।
- भगवान नारायण ने देवताओं को इशारा भी किया कि मैंने दैत्यों को मोह जाल में फांसने के लिए मोहिनी रूप धरा है, लेकिन देवता नहीं माने।
- सभी देवताओं ने मोहिनी को अर्धांगिनी के रूप में देखा, लेकिन एकमात्र सूर्य देवता को उनमें बेटी का रूप नजर आया।
- मोहिनी रूप देखकर सूर्य देव का वात्सल्य (जैसा भाव पुत्र या पुत्री को देखकर आता है) जाग गया और यह बात भगवान नारायण को भा गई।
- सूर्य देव के मन में भाव आया कि मैं भी ऐसा सौभाग्यशाली बनूं कि ऐसी सुंदर कन्या मेरी बेटी हो और मैं उसका कन्यादान करसकूं।
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…वृषभानु के रूप में बृज में जन्मी राधा रानी
भगवान नारायण ने सूर्य देव से कहा कि मैं आपके मन के भाव से बड़ा प्रसन्न हूं। आगे द्वापर आ रहा है। मेरा कृष्ण अवतार होगा। मैं परब्रह्म ही कृष्ण अवतार लूंगा और मेरी ही आह्लादिनी शक्ति आपके यहां पुत्री बनकर जन्म लेगी। मैं वृषभानु (भानु अर्थात सूर्य) के रूप में बृज में जन्म लूंगा।
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भगवान नारायण ने सूर्य देव से आगे कहा कि आपकी बेटी के रूप में मेरी आह्लादिनी शक्ति इतनी सुंदर होगी कि जिसे देखकर करोड़ों मोहिनियां मोहित हो जाएंगी। ऐसा रूप धारण करके मैं आपकी पुत्री बनकर जन्म लूंगा। इस तरह स्वयं भगवान नारायण ने किशोरी जी यानी राधा रानी के रूप में अवतार लिया था।