धर्म डेस्क, इंदौर। Yagya Benefits: सनातन धर्म में विभिन्न अवसरों पर यज्ञ किया जाता है जैसे बच्चे के जन्म पर, त्योहारों पर, गृह प्रवेश के समय या किसी शुभ कार्य के दौरान। ऐसा माना जाता है कि यज्ञ करने से भगवान का आशीर्वाद मिलता है और व्यक्ति के कार्यों में कोई बाधा नहीं आती है। साथ ही यह घर की सुख-समृद्धि के लिए आवश्यक होते हैं। शास्त्रों में कुछ ऐसे यज्ञों का जिक्र किया गया है, जो व्यक्ति को अपने जीवन में जरूर करना चाहिए।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, यज्ञ को बहुत ही पवित्र अनुष्ठान माना जाता है। यज्ञ में सकारात्मक ऊर्जा उत्पन्न करने और स्थान को शुद्ध करने के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है। यज्ञ का धार्मिक महत्व भी है। यज्ञ अग्नि, अग्नि के देवता का प्रतिनिधित्व करती है। यज्ञ के दौरान मंत्रों का उच्चारण लय में किया जाता है और उत्पन्न कंपन के माध्यम से एक सौहार्दपूर्ण वातावरण बनता है, जो साधक की आध्यात्मिक ऊर्जा को बढ़ाता है। इससे यज्ञ में भाग लेने वाले लोग भगवान के करीब महसूस होते हैं।
वेदों में लगभग 400 प्रकार के अनुष्ठानों के बारे में बताया गया है। इनमें से केवल 21 को ही अनिवार्य माना जाता है और उन्हें "नित्यकर्म" कहा जाता है। बाकी "काम्य कर्म" हैं, जो इच्छाओं की पूर्ति के लिए किए जाते हैं। प्राचीन काल में राजा, महाराजा और शासक नियमित रूप से अश्वमेध और राजसूय यज्ञ करते थे, क्योंकि इन यज्ञों को करने से शासक और उनके साम्राज्य की उन्नति होती है।
'ऋषि यज्ञ': इस यज्ञ में ऋषियों द्वारा लिखे गए ग्रंथों का अध्ययन कर, उनकी प्रतिष्ठा की जाती है।
'देव यज्ञ' - इस यज्ञ में अग्नि में आहुति देकर दिव्य देवताओं की पूजा की जाती है और उनका आशीर्वाद लिया जाता है।
'पितृ यज्ञ': यह यज्ञ पूर्वजों को आदरपूर्वक तर्पण और श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए किया जाता है।
'अतिथि यज्ञ' - इस यज्ञ के अनुसार, मेहमानों या फिर आगंतुकों को कभी भी अपने घर से भूखा या संकट में नहीं जाने देना चाहिए।
'भूत यज्ञ': शास्त्रों में बताया गया है कि यह यज्ञ जानवरों, विशेषकर गायों और पक्षियों की देखभाल के लिए समर्पित है।
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