धर्म डेस्क, इंदौर। Bhagwan Shiv: भगवान महादेव, जिन्हें वाधिदेव के नाम से भी जाना जाता है, हिंदू धर्म के प्रमुख देवताओं में से एक माने जाते हैं। भगवान शिव से जुड़ी हर चीज में खास संकेत छिपा होता है। शिव जी के गले में लिपटा सांप, उनकी जटाओं से गंगा निकलना, इन सभी के पीछे कोई न कोई पौराणिक कथा छिपी है। इसी तरह भगवान शिव के तीन नेत्र हैं, इसलिए उन्हें त्रिनेत्रधारी भी कहा जाता है। आइए, जानते हैं कि महादेव कैसे बने त्रिनेत्रधारी।
भगवान शिव की तीसरी आंख से संबंधित कहानी महाभारत के छठे खंड के अनुशासन पर्व में मिलती है। इसके अनुसार, एक बार भगवान शिव हिमालय पर्वत पर सभी देवी-देवताओं, ऋषि-मुनियों और ज्ञानियों के साथ बैठक कर रहे थे। तभी सभा में माता पार्वती आईं और उन्होंने उपहास करते हुए भगवान शिव की दोनों आंखों पर अपने हाथ रखकर उन्हें बंद कर दिया। जैसे ही माता पार्वती ने भगवान शिव की आंखें बंद कर दीं, पूरी पृथ्वी पर अंधकार फैल गया। इससे पृथ्वी पर रहने वाले सभी प्राणियों में हाहाकार मच गया।
तब महादेव ने अपने मस्तक पर एक आंख के आकार की प्रकाश किरण प्रकट की। जिससे संपूर्ण सृष्टि में फिर से प्रकाश फैल गया। तब माता पार्वती ने इसका कारण पूछा, तो उन्होंने कहा कि मेरी आंखें जगत की पालनहार हैं। ऐसे में यदि वे बंद हो जाएं, तो संपूर्ण सृष्टि का विनाश हो सकता है। यही कारण है कि भगवान शिव ने पूरी दुनिया की रक्षा के लिए अपनी तीसरी आंख प्रकट की।
भगवान शिव की तीन आंखें अलग-अलग गुणों का प्रतीक मानी जाती हैं। महादेव की दाहिनी आंख में सत्व गुण और बाईं आंख में रजो गुण का वास माना जाता है। अतः तमोगुण तीसरी आंख में रहता है। कहा जाता है कि भगवान शिव की दो आंखें भौतिक जगत की गतिविधियों पर नजर रखती हैं, जबकि तीसरी आंख का कार्य पापियों पर नजर रखना है। यह आंख इंगित करती है कि संपूर्ण ब्रह्मांड का न तो आदि है और न ही अंत।
हिंदू पुराणों के अनुसार, भगवान शिव की तीन आंखें त्रिकाल यानी भूत, वर्तमान और भविष्य का प्रतीक मानी जाती हैं। स्वर्ग, मृत्यु और पाताल लोक को भी इन तीन आंखों का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए भगवान शिव को तीनों लोकों का स्वामी कहा जाता है।
ऐसी कई पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें कहा गया है कि मुख्य रूप से भगवान शिव की तीसरी आंख तभी खुलती है, जब वे अत्यधिक क्रोधित होते हैं। हिंदू धर्म शास्त्रों में वर्णन है कि यदि भगवान शिव की तीसरी आंख खुल जाए, तो संसार में प्रलय आ सकता है, जो संसार को नष्ट करने की क्षमता रखता है।
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