Chanakya Niti। आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति ग्रंथ में कई जगह इस बात का उल्लेख किया है कि मूर्ख दोस्त की तुलना में गुणी दुश्मन होना ज्यादा हितकारी होता है, क्योंकि विपरीत परिस्थितियों में भी वह हमेशा कुछ सिखाकर जाता है। किसी भी व्यक्ति के निकट संबंधियों, मित्रों व परिजनों में क्या-क्या गुण होना चाहिए, आचार्य चाणक्य ने इस बारे में विस्तार से बताया है।
दुःखितैः सम्प्रयोगेण पण्डितोऽप्यवसीदति
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में कहा है कि मूर्ख शिष्य को उपदेश देने, दुष्ट व्यभिचारिणी स्त्री का पालन-पोषण करने, धन के नष्ट करने वाले या दुखी व्यक्ति के साथ व्यवहार रखने से बुद्धिमान व्यक्ति को भी कष्ट उठाना पड़ता है। ये सभी ज्ञानी व्यक्ति के लिए भी दुख का कारण बन जाते हैं। इसलिए इन सभी लोगों को हमेशा दूरी बनाकर रखना उचित होता है।
आचार्य चाणक्य कहते हैं कि मूर्ख व्यक्ति को ज्ञान देने से कोई लाभ नहीं होता। जैसे मूर्ख बंदर को घर बनाने की सलाह देकर बया को अपने घोंसले से ही हाथ धोना पड़ा था। इसी प्रकार दुष्ट और कुलटा स्त्री का पालन-पोषण करने से सज्जन और बुद्धिमान व्यक्तियों को दुख की प्राप्ति होती है।
ससपें च गृहे वासो मृत्युरेव न संशयः
इस श्लोक में आचार्य चाणक्य ने कहा कि दुष्ट स्वभाव वाली, कठोर वचन बोलने वाली, दुराचारिणी स्त्री और धूर्त, दुष्ट स्वभाव वाला मित्र, सामने बोलने वाला मुंहफट नौकर और ऐसे घर में निवास करना, जहां सांप के होने की संभावना हो, ये सब बातें मृत्यु के समान हैं।
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