धर्म डेस्क, इंदौर। जीवन में हर व्यक्ति के लिए समय समान नहीं होता है और जिंदगी में कई तरह के उतार-चढ़ाव आते रहते हैं। आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति ग्रंथ में बुरे समय के लिए भी कई सीख दी है। आचार्य चाणक्य ने कहा है कि जीवन में बुरा समय आए तब कुछ काम सबसे पहले कर लेना चाहिए ताकि समस्याओं को कम किया जा सके।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में कहा है कि आपातकाल के लिए हमेशा धन की रक्षा करनी चाहिए। मनुष्य को किसी भी समय कोई आपत्ति अथवा कष्ट झेलना पड़ सकता है, परंतु सब कष्टों का निवारण धन से ही होता है। इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह अपनी आय में से थोड़े धन की बचत करे।
आचार्य चाणक्य के मुताबिक, क्षमाशील मनुष्य अपने सब कार्य सिद्ध कर लेता है। क्षमाशील मनुष्य में इतनी शक्ति होती है कि वह अपमान करने वाले की अवहेलना कर सकता है। धन-जन की हानि करने वाले को भी सहन कर सकता है। इस प्रकार वह अपने मार्ग में आने वाली कठिनाइयों की ओर ध्यान न देकर अपने कार्यों में लगा रहता है। वह निश्चित रूप से अपने सब कार्य पूर्ण कर लेता है।
आचार्य चाणक्य ने इस श्लोक में बताया है कि साहसी पुरुषों को अपना कर्तव्य प्रिय होता है। साहसी पुरुष केवल अपने कर्तव्य की ओर ध्यान देते हैं। वे असत्य का सदैव विरोध करते हैं। असत्य का सहारा लेने वाला व्यक्ति कभी विश्वसनीय नहीं हो सकता। असत्य को सत्य से ही परास्त किया जा सकता है।
आचार्य चाणक्य ने यहां बताया है कि जो कार्य कल करना है, उसे आज ही कर लेना चाहिए। 'काल करे सो आज कर, आज करे सो अब', वाली बात से सभी परिचित हैं। इसीलिए जो आवश्यक कर्तव्य है उनके प्रति टालमटोल नहीं करनी चाहिए।
'इस लेख में दी गई जानकारी/सामग्री/गणना की प्रामाणिकता या विश्वसनीयता की गारंटी नहीं है। सूचना के विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/धार्मिक मान्यताओं/धर्मग्रंथों से संकलित करके यह सूचना आप तक प्रेषित की गई हैं। हमारा उद्देश्य सिर्फ सूचना पहुंचाना है, पाठक या उपयोगकर्ता इसे सिर्फ सूचना समझकर ही लें। इसके अतिरिक्त इसके किसी भी तरह से उपयोग की जिम्मेदारी स्वयं उपयोगकर्ता या पाठक की ही होगी।'